दिल वाला टैटू

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क्षमा मिश्रा नाम था उसका। लेकिन मोहल्ले के सारे लड़के उसे छमिया कह कर पुकारते थे। महज़ अठारह बरस की उम्र में मोहल्ले में हुई अठाईस झगड़ों का कारण बन चुकी थी वो। उसका कोई भी आशिक़ चार महीने से ज्यादा उसकी फ़रमाइशों को पूरी नहीं कर पाता था। इसलिए प्रत्येक चार महीने बाद क्षमा के दिल के रजिस्टर पर नए आशिक़ का नामांकन होता था। लेकिन जब भी कोई पुराना आशिक़ उसके दिल में रहने की ज़िद या जुरअत करता तो वह अपने पिता से छेड़खानी की झूठी शिकायत कर उसकी बेरहमी से पिटाई करवा देती। क्षमा के पिता पुलिस डिपार्टमेंट में हेड कांस्टेबल के पद पर कार्यरत थे। मोहल्ले के तक़रीबन सभी लड़के क्षमा के भूतपूर्व आशिक़ों की सूची में स्थान प्राप्त कर चुके थे एवं क्षमा के पिता से पिट भी चुके थे। इस बार क्षमा का नया आशिक़ उसके मोहल्ले का नहीं था।

क्षमा के नए प्रेम प्रसंग को अभी दो महीने ही हुए थे कि अचानक क्षमा ने घर से निकलना बंद कर दिया। क़रीब एक महीने तक जब मोहल्ले के लड़कों को क्षमा का दीदार नहीं हुआ तो उन लोगों ने इस संबंध में उसकी छोटी बहन छवि से पूछताछ की, जो क्षमा के प्रत्येक प्रेम प्रसंगों में संदेशवाहक का काम किया करती थी। पहले तो छवि ने कारण बताने से मना कर दिया लेकिन जब लड़कों ने बदले में मोबाइल फ़ोन देने का प्रलोभन दिया तो उसने बताना शुरू किया – “दीदी का नया बॉयफ्रेंड किसी दूसरे शहर का था। उसने दीदी को बताया था कि वह एक कंपनी में मैनेजर है और उसी कंपनी के काम से इस शहर में आया है। वह एक होटल में ठहरा हुआ था। दीदी कभी-कभार उसके साथ शॉपिंग मॉल और पार्क जाया करती थी। एक दिन दीदी के बॉयफ्रेंड ने दीदी को मिलने के लिए होटल आने को कहा। दीदी जब होटल पहुंची तो उसका बॉयफ्रेंड उसे उस कमरे में ले गया जिस कमरे में वह ठहरा हुआ था। थोड़ी देर बाद उसने दीदी को मिनरल वाटर पीने को दिया, जिसे पीते ही दीदी बेहोश हो गई। लगभग दो घंटे बाद जब दीदी को होश आया तो उसने उस कमरे में खुद को अकेला पाया। थोड़ी देर बाद जब दीदी के दाहिने हाथ में दर्द हुआ तो उसने देखा कि उसके हाथ पर दिल वाला टैटू बना हुआ था, जिसमें लिखा था- ‘माशूक़ा मोहल्ले की’। होटल के कमरे से निकलने के तुरंत बाद जब दीदी ने अपने बॉयफ्रेंड को फ़ोन लगाया तो उसका फ़ोन स्थाई रूप से बंद बताया। दीदी ने होटल में जब उसके बारे में पूछताछ की तो पता चला कि उसने जो नाम दीदी को बता रखा था उस नाम का कोई भी व्यक्ति उस होटल में ठहरा ही नहीं था। घर आने के बाद दीदी ने रोते हुए मुझसे सारी बातें बताई। जब यह बात पापा को पता चली तो उन्होंने दीदी को बहुत पीटा। हमलोगों ने टैटू आर्टिस्टों से टैटू को मिटाने के बारे में बात की तो उनलोगों ने बताया कि यह एक खास तरह का परमानेंट टैटू है, जिसे हटाना बहुत ही मुश्किल और जोखिम भरा है। उस टैटू की वज़ह से दीदी बहुत परेशान रहने लगी है, इसलिए अब घर से नहीं निकलती है।”

छवि की बातें सुनकर मोहल्ले के लड़के खुश नहीं बल्कि परेशान थे एवं एक दूसरे को शक की नज़रों से देख रहे थे।

✍️ आलोक कौशिक

बेगूसराय (बिहार)

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