पितृमोक्ष अमावस्या

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deenesh malviy
आज सुबह से ही घर खीर-पूरी की खुशबू से महक रहा था,सामने फुटपाथ पर एक औरत दो बच्चों के साथ सिमटी हुई बैठी थी। लगता था कुछ दिनों से भूखी हो,रसोईघर में जाकर एक प्लेट भर खाना लाकर महिला को देता हूँ,पत्नी पीछे से कहती है-अभी भोग नहीं लगा है। उन बच्चों की आंखों में भोग लगने की अनुभूति होती है,आज पिता की आत्मा को मोक्ष मिला है।
आज सुबह से ही घर पर पितृमोक्ष अमावस्या की तैयारी चल रही थी। हमारे कुलगुरु ने बताया था कि,अमावस्या के दिन काली गाय को खीर-पूरी खिलाने से पिता की आत्मा को शांति मिलेगी। हम घर से निकल ही रहे थे,देखा कि,झोपड़-पट्टी के दो बच्चे खाने के लिए गुहार लगा रहे थे। उन्हें दुत्कार कर,मां-बाप ने हमारे लिए ही पैदा कर छोड़ दिया है। चले आते हैं मांगने के लिए सुबह-सुबह भिखमंगे…।और गाड़ी चालू कर काली गाय की खोज में निकल पड़े।
                                                                               #दिनेश मालवीय ‘भोपाली’
परिचय : दिनेश मालवीय, मध्यप्रदेश के भोपाल शहर में रहते हैं।आपका लेखन में उपनाम-भोपाली है। कर्म क्षेत्र शिक्षा विभाग यानि बतौर सहायक अध्यापक बच्चों का भविष्य गढ़ते हैं। आप संस्कृत भाषा से स्नातक होकर लेखन,पहलवानी और शतरंज को पसंद करते हैं।

matruadmin

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