Read Time36 Second

रखकर किताब दौड़ के आती हैं बेटियां,
धोकर गिलास पानी पिलाती हैं बेटियां,
सेवा का भाव रखती हैं निष्काम हृदय में-
देखा है मैंने सिर भी दबाती हैं बेटियां।
दिल से सदैव नेक मनाती हैं बेटियां,
शगुनों पे शगुन रोज उठाती हैं बेटियां,
किसने कहा है बेटियां होती हैं पराई-
दुख-दर्द में कब छोड़ के जाती हैं बेटियां।
#डॉ.कृष्ण कुमार तिवारी ‘नीरव’
Post Views:
515