वन्दना

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पूजा-भक्ति रोज करुं,
मां तेरा ही गुणगान करुं।
हम भक्तों पर दया भी करना,
ज्ञान थोड़ा हम सबको देना।
हम अज्ञानी करें वन्दना,
हाथ जोड़कर पूजा-प्रार्थना।
वीणा वादिनी,हंस वाहिनी,
ज्ञान की शक्ति देवी है।
मां बिन तेरे न कुछ होए,
जिससे रूष्ट कभी हो जाए।
उसकी बुद्धि ही हर ले,
मन में बुद्धि तू भर दे।
पत्नी ब्रम्हा की कहलाए,
वाणी की स्वामी कहलाए।
सुबह-शाम हम करें वन्दना
चरणों में करुं पूजा-अर्चना।
भेदभाव न किसी से करती,
सब भक्तों की रक्षा करती।
बिना प्रेरणा कोई न बोले,
बिना कृपा कोई मुँह न खोले।
मां बिन तेरे सब अज्ञानी,
बिना आपके खुले न वाणी।
नियति का लिखा टल न पाए,
बिना कृपा कोई बोल न पाए।
करुं प्रार्थना-पूजा तेरी,
इच्छा पूरी कर दे मेरी।
आशीर्वाद मिले हम सबको,
ऐसी प्रेरणा दे हम सबको।
पूजा-वन्दना करुं तुम्हारी,
इच्छा सबकी कर दे पूरी।
नमो नमाःओम नमो नमाः,
सरस्वती माँ को नमो नमाः।

                                                                                   #अनन्तराम चौबे

परिचय : अनन्तराम चौबे मध्यप्रदेश के जबलपुर में रहते हैं। इस कविता को इन्होंने अपनी माँ के दुनिया से जाने के दो दिन पहले लिखा था।लेखन के क्षेत्र में आपका नाम सक्रिय और पहचान का मोहताज नहीं है। इनकी रचनाएँ समाचार पत्रों में प्रकाशित होती रहती हैं।साथ ही मंचों से भी  कविताएँ पढ़ते हैं।श्री चौबे का साहित्य सफरनामा देखें तो,1952 में जन्मे हैं।बड़ी देवरी कला(सागर, म. प्र.) से रेलवे सुरक्षा बल (जबलपुर) और यहाँ से फरवरी 2012 मे आपने लेखन क्षेत्र में प्रवेश किया है।लेखन में अब तक हास्य व्यंग्य, कविता, कहानी, उपन्यास के साथ ही बुन्देली कविता-गीत भी लिखे हैं। दैनिक अखबारों-पत्रिकाओं में भी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। काव्य संग्रह ‘मौसम के रंग’ प्रकाशित हो चुका है तो,दो काव्य संग्रह शीघ्र ही प्रकाशित होंगे। जबलपुर विश्वविद्यालय ने भीआपको सम्मानित किया है।

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