रिश्तों का खून

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anand
वैसे दोनों भाई एक दूसरे पर जान छिड़कते थे,पर एक दिन रमेश खेत में मरा मिला,पुलिस आई पंचनामा हुआ।लाश सुरेश छोटे को सौंप दी गई,विधिवत क्रियाकर्म हुआ। कुछ माह बीते पता नहीं चल पाया कि मौत की वजह क्या थी। पुलिस भी नाकाम रही,कुछ वर्ष के अंतराल में छोटा भाई सुरेश पागलों के जैसा बर्ताव गांव भर और अपने खुद के परिवार से करने लगा। पागलपन में चीखता कि,मैंने मार डाला रमेश को। जमीन-जायदाद का इकलौता हकदार बनने के लिए,उसके पागलपन को गांव,पुलिस ने भी गंभीरता से नहीं लिया। बिल्कुल पागल हो गया था सुरेश,उसके पागलपन की बातें किसी पर भी असर नही कर रही थी! कोई दोनों भाइयों के अटूट प्रेम पर संदेह ही नहीं कर पा रहा था कि,सुरेश ऐसा सपने में भी नही सोच सकता,कतल कर देना तो दूर-दूर की बात है। खेत-खलिहान और गांव में दिन-रात सुरेश भटकता रहता,इधर उसके परिवार ने भी उसे त्याग दिया। दयावश कोई कुछ खाने को दे देता,जिंदा लाश की तरह शरीर ढोते ढोते दिनभर चीखते-चिल्लाते यहाँ वहाँ कहीं भी पड़ा रहता..गांव-खेत और  खलिहान में……।।।
इस वाकये ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि,रिश्ते खून के हों,या आजकल रिस्तों का खून…………,दोनों ही परिस्थितियों में आदमी को पागल होना ही होता है….॥॥
                                                                                       #आनंद पाण्डेय ‘केवल’
परिचय : आनंद पाण्डेय ‘केवल’ की उम्र 45 वर्ष है और आप  सेवनिवृत्त शिक्षक (मुंबई) हैं। मुंबई में निवास है,पर पैतृक निवास उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ में है। आप कार्यक्षेत्र के रुप में मुंबई में कम्पनी में कार्यकारी संचालक के तौर पर सक्रिय हैं। लेखन में रुचि है और पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती हैं। मात्र एक वर्ष का लेखन अनुभव है और भावों की तुकबंदी पर अधिक लिखते हैं। तबला वादन में स्नातक होने के साथ ही कुछ अन्य उपलब्धियां भी पाई हैं। कवि मित्रों की रचनाएँ पढ़ने का चिंतन तथा मनन करना आपको अच्छा लगता है।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।