विश्व ऊर्जा संरक्षण दिवस

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सुनो भैया सुनो बहना,
करूँ विनती मैं बस इतनी।
बचा लो ऊर्जा मिलकर,
करूँ अरज मैं बस इतनी।

बिना ऊर्जा जरा सोचो,
क्या होगा हाल हम सबका?
होगा जीना बड़ा मुश्किल,
बुरा होगा कल हम सबका।

आज जगमग है ये दुनियाँ,
ना जाने कल क्या होगा?
ना होगी यदि ऊर्जा जग में,
तो कैसे रोशन जहाँ होगा?

बिना पेट्रोल डीजल के,
चलेंगी गाड़ियाँ कैसे?
सफ़र होगा बड़ा दुष्कर,
चलेंगे पैदल हम कैसे?

ना हो बिजली यदि सोचो,
अंधेरा हर तरफ़ होगा।
चलेगी टी वी फिर कैसे?
चार्ज मोबाइल कैसे होगा?

रसोई गैस बिन बोलो,
बनेगा खाना फिर कैसे?
पड़ेगा फूंकना चूल्हा,
फूंकते थे पूर्वज जैसे।

बड़ा नीरस होगा जीवन,
ना जीने का मजा होगा।
बचा लो ऊर्जा मिलकर,
बड़ा सुंदर फिर कल होगा।

जरूरत न हो जब जिसकी,
उसे बेवजह ना खर्च करना।
बस थोड़ी सी सावधानी ,
मिलकर सब बरत लेना।

ए सी, गीजर और ब्लोअर,
प्रयोग थोड़ा सा कम करना।
बेवजह जलती लाइट के,
स्विच जरा ऑफ तुम करना।

भविष्य अपने बच्चों का,
बिगाड़ो मत मेरे भाई।
बचाई ना जो हमने ऊर्जा,
है शामत फिर सबकी आई।

समय रहते सम्भल जाओ,
वरना बहुत पछताओगे।
हाल होंगे बेहाल सबके,
कुछ भी कर ना पाओगे।

स्वरचित
सपना (स. अ.)
जनपद – औरैया

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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