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बहुत दिलकश नजा़रे थे,
जब हम शौक के मारे थे।
नहीं फिक्र समय की थी,
के पहिए हाथ हमारे थे।
समय कब-कहाँ-कैसे गुजरे,
वक्त के साए तो संग हमारे थे।
थे अल्हड़ नटखट बेपरवाह,
के मौसम के सारे नज़ारे
हमारे थे।
भाग रही थी दुनिया आगे,
हम तो बस अपने सपनों के सहारे थे।
दो पहिए हाथ हमारे थे,
हम भी पहियों के सहारे थे।
बस यूं ही सीख गए,
गति किसे कहते,क्या चक्र के मायने थे॥
#डॉ. नीलम
परिचय: राजस्थान राज्य के उदयपुर में डॉ. नीलम रहती हैं। ७ दिसम्बर १९५८ आपकी जन्म तारीख तथा जन्म स्थान उदयपुर (राजस्थान)ही है। हिन्दी में आपने पी-एच.डी. करके अजमेर शिक्षा विभाग को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक रुप से भा.वि.परिषद में सक्रिय और अध्यक्ष पद का दायित्व भार निभा रही हैं। आपकी विधा-अतुकांत कविता, अकविता, आशुकाव्य आदि है।
आपके अनुसार जब मन के भाव अक्षरों के मोती बन जाते हैं,तब शब्द-शब्द बना धड़कनों की डोर में पिरोना ही लिखने का उद्देश्य है।
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Tue Feb 6 , 2018
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