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सुबह सवेरे आशा का पंछी,
उड़ चला फिर नीले
आकाश में,
उम्मीदों की रोशनी है
बस उसके पास में।
उसके पंख सुनहरे से
तेजी से उड़ रहे हैं,
उसकी आकांक्षाओं के
बादल आज फिर घुमड़ रहे हैं।
इस पंछी से सीखो मित्रों
हिम्मत से उड़ जाना,
कठिनाइयों से तुम भी कभी
एक पल भी न घबराना।
धूप तेज पड़ती है तो
तन-मन झुलस-सा जाता है,
राह पे खड़ा पहाड़ फिर
सामने रास्ता रोकने आता है।
बारिश का सैलाब कभी
हमको बड़ा डराता है,
तेज ठण्ड का झोंका कभी
तन को थरथराता है।
पर फिर भी आस का पंछी वो
उड़ता ही जाता है,
और एक दिन अपनी आशाओं का
नीला आकाश पाता है …।
आशाओं का नीला
आकाश वो पाता है …॥॥
#अनुभा मुंजारे’अनुपमा’
परिचय : अनुभा मुंजारे बिना किसी लेखन प्रशिक्षण के लम्बे समय से साहित्यिक क्षेत्र में सक्रिय हैं। आपका साहित्यिक उपनाम ‘अनुपमा’,जन्म तारीख २० नवम्बर १९६६ और जन्म स्थान सीहोर(मध्यप्रदेश)है।
शिक्षा में एमए(अर्थशास्त्र)तथा बीएड करने के बाद अभिरुचि साहित्य सृजन, संगीत,समाजसेवा और धार्मिक में बढ़ी ,तो ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों की सैर करना भी काफी पसंद है। महादेव को इष्टदेव मानकर ही आप राजनीति भी करती हैं। आपका निवास मध्यप्रदेश के बालाघाट में डॉ.राममनोहर लोहिया चौक है। समझदारी की उम्र से साहित्य सृजन का शौक रखने वाली अनुभा जी को संगीत से भी गहरा लगाव है। बालाघाट नगर पालिका परिषद् की पहली निर्वाचित महिला अध्यक्ष रह(दस वर्ष तक) चुकी हैं तो इनके पति बालाघाट जिले के प्रतिष्ठित राजनेता के रुप में तीन बार विधायक और एक बार सांसद रहे हैं। शाला तथा महाविद्यालय में अनेक साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेकर विजेता बनी हैं। नगर पालिका अध्यक्ष रहते हुए नगर विकास के अच्छे कार्य कराने पर राज्य शासन से पुरस्कार के रूप में विदेश यात्रा के लिए चयनित हुई थीं। अभी तक २०० से ज्यादा रचनाओं का सृजन किया है,जिनमें से ५० रचनाओं का प्रकाशन विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में हो चुका है। लेखन की किसी भी विधा का ज्ञान नहीं होने पर आप मन के भावों को शब्दों का स्वरुप देने का प्रयास करती हैं।
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Mon Jul 10 , 2017
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