असुरक्षा

0 0
Read Time1 Minute, 57 Second
kishor
मासूम बच्चियों के साथ बलात्कार और हत्या की घटनाओं ने,अपनी 10 वर्षीया बेटी के साथ अकेली जीवन यापन कर रही उस विधवा को हिलाकर रख दिया था। वह अपनी मासूम बच्ची के भविष्य को लेकर परेशान हो उठी थी।
उसने अपनी बेटी को सचेत करते हुए कहा-‘बेटी,अब से तुम स्कूल से लौटकर इधर-उधर खेलने-कूदने की बजाए सीधे पड़ोस की काकी के यहाँ चली जाया करना। वहीं खेलना-कूदना। कोई अपरिचित व्यक्ति तुम्हें लाख लालच दे,उसके साथ इधर-उधर कहीं भी मत जाना। मैं शाम को आॅफिस से घर लौटते समय तुम्हें वहीं से ले लिया करूंगी।’
कुछ दिन तक यह क्रम बहुत अच्छी तरह से चला तो माँ का मन भी उसकी चिंता छोड़कर धीरे-धीरे घर-दफ्तर के कामों में रमने लगा। एक दिन जब वह काकी के घर से अपनी बेटी को लेकर निकली तो,उसे वह उसे अत्यन्त गुमसुम और भयभीत-सी दिखलाई पड़ी। उसकी यह दशा देखकर माँ का माथा ठनका। जब उसने ज़ोर देकर उससे इसका कारण पूछा तो उसकी नन्हीं-सी बच्ची रोती-बिलखती उससे लिपट गई थी।
उसकेे मुंह से बस इतना ही निकल सका था- ‘… मां,आज काकी कहीं घर से बाहर गई हुई थीं और..घर में अकेले काका थे…।
                                                                            #किशोर श्रीवास्तव
परिचय : लेखनी की धार को समझने वाले किशोर श्रीवास्तव, केन्द्र सरकार के अधिकारी हैं।आप संपादक,कवि,गायक,कार्टूनिस्ट तथा कलाकर्मी के रुप में कार्यरत हैं। आर.के.पुरम,नई दिल्ली में आपका निवास है। 

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

शहर

Fri Jul 7 , 2017
मेरा शहर न अब मेरा है, गली न मेरी रही गली है। अपनेपन की माटी गायब, चमकदार टाइल्स सजी है। श्वान-काक-गौ तकें,न रोटी मृत गौरैया प्यास लजी है। सेंव-जलेबी-दोने कहीं न, कुल्हड़-चुस्की-चाय नदारद। खुद को अफसर कहता नायब, छुटभैया तन करे अदावत। अपनेपन को दे तिलांजलि, राजनीति विष- बेल पली […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।