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तन,मन और जीवन को
आओ थोडा़ सरस बनाएँ,
करें योग-व्यायाम ध्यान और
जीवन को हम सरल बनाएं।
जग में फैल रही कटुता पर
योग-ध्यान का लेप लगाएं,
वाणी में भरकर मिठास
नव-जागृति का दीप जलाएं।
कुंभ,दंभ का फोड़ धरा पर,
होठों पर मुस्कानें लाएं,
परहित को साकार करें
और नवाचार ले आएं।
साध्य बना हर पीड़ा का,
नाश करे हर अवगुण का ,
योग ही जीवन की परिभाषा
पूरी होती हर अभिलाषा।
आओ योग और व्यायाम से,
सृजन के नव रंग भरें,
जीवन के हर एक पल में
मुस्कानों के रंग भरें॥
#कार्तिकेय त्रिपाठी
परिचय : कार्तिकेय त्रिपाठी इंदौर(म.प्र.) में गांधीनगर में बसे हुए हैं।१९६५ में जन्मे कार्तिकेय जी कई वर्षों से पत्र-पत्रिकाओं में काव्य लेखन,खेल लेख,व्यंग्य सहित लघुकथा लिखते रहे हैं। रचनाओं के प्रकाशन सहित कविताओं का आकाशवाणी पर प्रसारण भी हुआ है। आपकी संप्रति शास.विद्यालय में शिक्षक पद पर है।
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Wed Jun 21 , 2017
करोगे अगर योग,योगी बनोगे, रोगों को हराकर निरोगी बनोगे। जीवन में जरा योग अपना के देखो, जो जीते स्वयं को,वो जोगी बनोगे। सरल राह जीवन की होती रहेगी, कभी भी नहीं आप भोगी बनोगे। दुखों से बहुत दूर होता है योगी, जो ढोए सुखों को,वो बोगी बनोगे। इसी योग से […]