डॉ. अर्पण जैन की कृति ‘महायात्री’ विश्व पुस्तक मेले में लोकार्पित

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सुकून देने वाली एकान्त की कविताओं का संग्रह है ‘महायात्री’

नई दिल्ली। एशिया के सबसे बड़े पुस्तक मेले विश्व पुस्तक मेला में मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अर्पण जैन ‘अविचल’ की कविताओं का संग्रह महायात्री लोकार्पित हुआ। संस्मय प्रकाशन के स्टॉल 325 पर गुरुवार को भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक, हिन्दी गौरव प्रो. संजय द्विवेदी के मुख्य आतिथ्य व साहित्य भूषण डॉ. मिथिलेश दीक्षित की अध्यक्षता में संग्रह का लोकार्पण हुआ।
इस अवसर पर विशेष रूप से भारतीय पुरातत्व विभाग, नई दिल्ली के निदेशक राम निगम, वरिष्ठ पत्रकार मुकेश तिवारी, साहित्यकार अंजू निगम, भावना शर्मा व शिखा जैन मौजूद रहें।
महायात्री के लेखक डॉ जैन का कहना है कि’ पुस्तक में कुल सत्तर कविताएँ है, जिनका उद्देश्य पाठकों के सुकून की स्थापना करना है। पुस्तक में एक अनंत की यात्रा का ‘महायात्री’ अपने एकांत के चिंतन को समाज हितार्थ समाज के सामने रख रहा है। जिस यात्रा में अनावश्यक बोझ नहीं होते, न ही किसी समान को साथ रखा जाता है, और न ही किसी रिश्तें, नातेदारों को उस यात्रा के साक्षी भाव में शामिल किया जाता है। उस यात्रा में मनुष्य अपने अस्तित्व की खोज करता है और उसकी खोज में एकांत की अनिवार्यता उस यात्रा में उसे सबलता प्रदान करती है। जब खोज ही मनुष्य होने की होती है तो फिर निश्चित रूप से खोज का अर्जित मनुष्यता ही होगा। ‘महायात्री’ उन कविताओं का संग्रह है जो मनुष्य होने के कई सारे कारणों में संरक्षित मनुष्यता का दायित्वबोध करवाती है।
पुस्तक के लोकर्पण पर प्रो संजय द्विवेदी ने इसे सुकून की कविताएँ बताया।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।