
आज़ाद तो देश को कर गए
पर दुश्मन, जाते-जाते भी
समस्याओं का पुलिंदा थमा गए
बँटा हुआ था देश हमारा
कोई न था किसी का सहारा
छः सौ से भी ज़्यादा थीं रियासतें
सांप्रदायिकता की थी बड़ी ताकतें
लौह पुरुष पटेल ने ज़िम्मा उठाया
अनेकता में एकता को दर्शाया
फैली थी रियासतें यत्र-तत्र-सर्वत्र
अपने प्रयासों से कर दिया सबको एकत्र
दूरदर्शिता से एक अखंड भारत ले आए
आओ, इसे फिर सोने की चिड़िया बनाएँ
प्रभुता संपन्न बन गया मेरा देश
कोई नहीं दे सकता अब हमें आदेश
धार्मिक सहिष्णुता को अपनाकर
बन गया सब धर्मों का रखवाला
माने कोई भी धर्म अब देशवासी
धर्म और राजनीति को अलग कर डाला
महानायकों के प्रयासों से बना मंत्र
हिंदुस्तान एक प्यारा-सा गणतंत्र
बन गया जन-जन के मन का तंत्र
अधिकारों के साथ कर्त्तव्य भी मिले
विकास के सबको समान अवसर मिले
नागरिक ख़ुद अपनी सरकार चुनें
इसीलिए कहलाया यह प्रजातंत्र
यह सब होने के बाद अब मेरा देश कहलाता
सर्वप्रभुता संपन्न, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणतंत्र।
#उषा गुप्ता
इन्दौर, मध्यप्रदेश