इंदौर आ रहे विदेशी मेहमानों का कविताओं से स्वागत, इंदौर के कवियों ने किया शब्द स्वागत

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सुषमा व्यास राजनिधि, रमेश चन्द्र शर्मा और यशोधरा भटनागर की कविताएँ

इन्दौर । मालवा अपने स्वागत, सत्कार और आतिथ्य के लिए जग में प्रसिद्ध है। यहाँ की स्वागत परम्परा हमेशा से ही महनीय और लोकलुभावन रही है। नववर्ष में मालवा के इन्दौर में प्रवासी भारतीय सम्मेलन होने जा रहा है, जिसमें देश की राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री मोदी, सूरीनाम, गुयाना के राष्ट्रपति सहित तीन हज़ार से अधिक प्रवासी भारतीय इन्दौर आ रहे हैं। उनके स्वागत में मातृभाषा उन्नयन संस्थान से जुड़े इन्दौर के कवियों ने कविता के रूप में उनका शब्द स्वागत किया, जिसमें प्रमुखता से सुषमा व्यास राजनिधि, रमेश चन्द्र शर्मा और यशोधरा भटनागर ने अपनी कविता के माध्यम से अतिथियों का अभिनंदन किया।

सुप्रसिद्ध लेखिका सुषमा व्यास राजनिधि ने अपनी कविता ‘अपनों का स्वागत’ में लिखा कि-
अपनों से अपनों के मिलने का आधार,
उनके आगमन से भरा अनुराग और संवाद का भंडार
ऊर्जा और रोशनी से खिलखिलाता माँ अहिल्या का आंगन,
अपने स्वागत में पलक पावडे बिछाता अपनों का संसार
भारत भूमि का पावन पवित्र यह हमारा तुम्हारा हिमालय-सा ऊंचा संसार,
जागृति, उल्लास, चेतना, आशा से भरा संसार
संस्कार के मानस, मातृभूमि के आंचल में
हर्षित, मुकुलित, स्वर्णिम जीवन, मधुबन राह दिखाता संसार
आओ रचें हम महकता संसार
कुछ जुदा-जुदा सा अलग संसार

वरिष्ठ रचनाकार रमेश चन्द्र शर्मा ने ‘स्वागत श्रेष्ठ प्रवासी’ में लिखा कि-
मूलतः भारत निवासी आपका अभिनंदन !
स्वागत श्रेष्ठ प्रवासी आपका अभिनंदन !
नव नियोजन, नव प्रयोजन, अभिनव प्रयोग
नव निवेश अभिलाषी आपका अभिनंदन !
नवाचार, नव सुविचार, नव राष्ट्र आराधना
नव संरचना, नव प्रभासी आपका अभिनंदन !
नव उत्साह, नव उमंग, नवतरंग जनचेतना
नव निर्माण, नव विकासी आपका अभिनंदन !
स्वागत वंदन-अभिनंदन-आराधन मंगलम
मां अहिल्या नगरी काशी आपका अभिनंदन !
नवप्रभात, नव विकास नित नवल सद्विचार
सुरक्षित संवर्धन आकांक्षी आपका अभिनंदन !
सहस्त्र भुजाएँ फैलाए स्वागत करता इंदौर
प्रवासी विश्व गुरु प्रत्याशी आपका अभिनंदन !

साथ में वरिष्ठ रचनाकार यशोधरा भटनागर ने ‘पूत मेरा आ रहा है’ के माध्यम से लिखा है-

सुनहरी उषा मुदित हो लहके
विहग वृंद हरख-हरख गावे
विटप तरु झूम-झूम नाचें
नवपल्लव किसलय मुस्काए
माटी महक-महक महक आए
दिन माह बरस-बरसों बाद
बेटा उसके अंक जो आए
बिछोह में विकल है माँ
नैन नीर बार-बार भर आएँ
तू गया दूर पर, छूट गया यहाँ
संग-साथ कहीं वहाँ
मुझे ले गया तू अपने
आज तनय को लख मैं अपने
ममता अपनी तृप्त करूँगी
सुनो री!
आंगन में चौक माण्ड दो
थाली आरती की सजा लो
इंद्रधनुष धरती पर उतार लो
सुत मेरा जो आ रहा है।
सुनो प्रकृति! मल्हार गाओ!
पूत मेरा आ रहा है।

मालवा की कविता परम्परा का भी अपना मान है, उसी परम्परा में जब अपनों के बीच अपने लोग बतौर मेहमान आ रहे हैं तो कविता ने अपने अंदाज़ में उनका अभिनंदन किया। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’, उपाध्यक्ष डॉ. नीना जोशी, सचिव गणतंत्र ओजस्वी, कोषाध्यक्ष शिखा जैन, कार्यकारिणी सदस्य भावना शर्मा, नितेश गुप्ता, सपन जैन काकड़ीवाला, प्रेम मंगल आदि ने प्रवासी भारतीयों के आगमन पर शुभकामनाएँ प्रेषित की।

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