शब्द अनकहे

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उनसे वो पहली ही मुलाकात थी,
जैसे चाँद और तारों की बारात थी
मिले ख़्वाब जगने लगे ज़ज्बात,
रूमानी सी वो अनोखी रात थी
झिलमिल सितारों से भरा आसमां था,
“मैं” और “हम” का मिलन आज था
सर्द सी रात हाथों में हाथ था,
लब खामोश धड़कनों का शोर था
मिल रहे दो ख़्वाब थे जग रहे अरमां थे,
साँसों का मिलन जन्मों का आलिंगन था
ये कैसी आग थी जो नम होकर जल रही थी
मानो पिघलता जैसे कोई मोम था,
झुकी पलकें थीं थमीं धड़कनें थीं
ये दो दिलों के मिलन की दास्तां थी या
थिरकते लबों की अनकही कहानी थी
#शालिनी
 कानपुर उत्तरप्रदेश

matruadmin

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