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जब से मानव जाति बनी,
हम वृक्षों को देते सम्मान।
तुलसी,नीम सरिस माता के,
वट,पीपल होते भगवान॥
देवों को लगते अति प्यारे,
चंदन,आम,धतूर,मदार ।
गुड़हल,कमल मातु को भावे,
सोहे बैजन्ती उर हार॥
बेघर, राही, भूले रहते,
वृक्ष तले आवास बनाय।
अब तो जागो मीत हमारे,
‘अवध’ सभी को रहा जगाय ll
#अवधेश अवध
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