राजनीति के ‘ सदा मंत्री ‘ और रामविलास पासवान ..!!

0 0
Read Time4 Minute, 22 Second
tarkesh ojha
tarkesh ojha

भारतीय राजनीति में रामविलास पासवान का उदय किसी चमत्कार की तरह हुआ । ८० – ९० के दशक के दौरान स्व . विश्वनाथ प्रताप सिंह की प्रचंड लहर में हाजीपुर सीट से वे रिकॉर्ड वोटों से जीते और केंद्र में मंत्री बन गए । यानि जिस पीढ़ी के युवा एक अदद रेलवे की नौकरी में जीवन की सार्थकता ढूंढ़ते थे , तब वे रेल मंत्री बन चुके थे । उन दिनों तब की जनता दल की सरकार बड़ी अस्थिर थी । एक के बाद प्रधानमंत्री बदलते रहे , लेकिन राम विलास पासवान को मानों केंद्र में ‘ सदा मंत्री ‘ का दर्जा प्राप्त था । हालांकि दावे के साथ नहीं कहा जा सकता कि उनसे पहले देश में किसी राजनेता को यह हैसियत हासिल नहीं थी । मेरे ख्याल से उनसे पहले यह दर्जा तत्कालीन मध्य प्रदेश और अब छत्तीसगढ़ के विद्याचरण शुक्ला को प्राप्त था । उन्हें भी तकरीबन हर सरकार में मंत्री पद को सुशोभित करते देखा जाता था । बहरहाल अब लौटते हैं राम विलास जी के दौर में । ज्योति बसु देश के प्रधानमंत्री बनते – बनते रह गए और अप्रत्याशित रूप से पहले एचडी देवगौड़ा और फिर इंद्र कुमार गुजराल प्रधानमंत्री बने । उस दौर में ऐसे – ऐसे नेता का नाम प्रधानमंत्री के तौर पर उछलता कि लोग दंग रह जाते । एक बार तामिलनाडु के जी . के . मुपनार का नाम भी इस पद के लिए चर्चा में रहा , हालांकि बात आई – गई हो गई । राम विलास जी का नाम भी बतौर प्रधानमंत्री गाहे – बगाहे सुना जाता । इसी दौर में 1997 की एक सर्द शाम राम विलास पासवान जी हमारे क्षेत्र मेदिनीपुर के सांसद इंद्रजीत गुप्त के चुनाव प्रचार के लिए मेरे शहर खड़गपुर के गिरि मैदान आए । रेल मंत्री होने के चलते वे विशेष सेलून से खड़गपुर आए थे । संबोधन के बाद मीडिया ने उनसे सवाल किया कि क्या आप भी प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं ?? इस पर राम विलास पासवान जी का जवाब था कि हमारे यहां तो जिसे प्रधानमंत्री बनाने की कोशिश होती है , वही पद छोड़ कर भागने लगता है …। दूसरी बार रामविलास जी से मुलाकात नवंबर 2008 को मेरे जिले पश्चिम मेदिनीपुर
के शालबनी में हुई । पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के साथ वे जिंदल स्टील फैक्ट्री का शिलान्यास करने आए थे । इसी सभा से लौटने के दौरान माओवादियों ने काफिले को लक्ष्य कर बारुदी सुरंग विस्फोट किया था । बहरहाल कार्यक्रम के दौरान उनसे मुखातिब होने का मौका मिला । उन दिनों महाराष्ट्र में पर प्रांतीय और मराठी मानुष का मुद्दा गर्म था । मुद्दा छेड़ने पर राम विलास जी का दो टुक जवाब था कि महाराष्ट्र में कोई यूपीए की सरकार तो है नहीं लिहाजा सवाल उनसे पूछा जाना चाहिए जिनकी राज्य में सरकार है । स्मृतियों को याद करते हुए बस इतना कहूंगा … दिवंगत आत्मा को विनम्र श्रद्धांजलि …।
तारकेश कुमार ओझा
लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं।

matruadmin

Next Post

जब तक

Fri Oct 9 , 2020
दुनियां वालों की नजरों में , हम तब तक अच्छे रहते हैं। लगा के ताला जुबां पर अपनी, हम जब तक मौन रहते हैं। जिनकी हां में हां मिलाते, हम उनके दिल में रहते हैं। अपने दिल की जुबां पे लाते, तो वाचाल हमें सब कहते हैं। रूखी सूखी खाते […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।