
राम को पूजने वालों
अब धरा पर राम नहीं आयेंगे
तुम्हें ही बनना होगा राम ।
अपनी प्रजा के एक प्रश्न की खातिर
अपनी प्रिया को
त्यागने वाले श्रीराम
बनना होगा तुम्हें।
अपनी मां को दिये
वचन को निभाने की खातिर
सत्ता सुख को त्याग कर
वन प्रस्थान करना।
स्थापित करना होगा
जनता से किए वादों का
अपने कहे वचनों का
साम्राज्य ।
राम की संवेदनशीलता को
आम जन के सुख- दु:ख में।
बनाने होंगे राम राज्य के
मूल्यों को
बिना जनता के लहू की
एक बूंद को बहाये।
राम तो कण कण में है
हर उस कण की
रक्षा का संकल्प लेना होगा।
प्रत्येक हृदय के अधिपति
अनंत सिया-राम को
मंदिर तक सीमित नहीं कर सकता कोई ।
स्मिता जैन