दो शब्द

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खान मनजीत भावड़िया मजीद मेहनती और हौसलामंद नौजवान के तौर पर उर्दू और हिंदी साहित्य में जाने जाते हैं। खान मनजीत ने इससे पहले भी दो किताबें हिंदी में लिखी है। जिनको पढ़कर इसकी सोच और लगन के बारे में बखूबी पता चल जाता है । खान मनजीत तिसरी कोशिश बिराण माटी एक नाटक की शक्ल में पाठकों के लिए लिखकर हिन्दी साहित्य में इज़ाफ़ा किया है ‌। बिराण माटी हरियाणा की जनता/अवाम ख़ासतौर पर औरत ज़ात का जि़क्र किया है।
अमृत समाज का अहम रोल हुआ करती है औरत ही बच्चों की बेसिक यूनिवर्सिटी है। औरत को शरीफ़ होना समाज के लिए बेहतर है क्योंकि औरत हया की देवी है। औरत कभी हमारे सामने बेटी के रूप में, कभी बहू के रूप में ,कभी बहन के रूप में, कभी पत्नी के रूप में और कभी मां की शक्ल में हमारे सामने आती है‌। एक मर्द की कामयाबी के पीछे औरत का हाथ होता है।
खान मनजीत ने बिराण माटी नाटक में औरत का खासतौर पर जिक्र किया है। औरतों पर हो रहे जुल्मों को नाटक की शक्ल में समाज के सामने पेश करने की अच्छी कोशिश की गई है। औरत समाज का अटूट अंग है इसलिए औरत की कदर करना मारा लाज़मी है। औरतों के रूतबे व मकाम को खान मनजीत ने बिरान माटी नाटक नहीं भाई ने की काबिल-ए-तारीफ कोशिश की गई है आखिर में कान मनजीत को मुबारकबाद देते हुए मालिक से दुआ करता हूं कि मालिक उनके ज़ोर-ए-कलम में और इजाफा करें‌।
आमीन ।
डाक्टर मोहम्मद जमील
पटियाला,पंजाब।

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