ह्र्दयमोहिनी

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ईश्वर ने भेजा था उनको
ईश्वरीय सेवा करने के लिए
शोभा से ह्र्दयमोहिनी बनी
जनकल्याण करने के लिए
आठ साल की बाली उम्र में
उनमें रूहानियत आ गई थी
परमात्म साक्षात्कार हुआ
उनकी काबिलियत छा गई थी
चार दर्जे तक पढाई करके
कई भाषाओं की ज्ञाता बनी
ईश्वरीय वरदान ऐसा मिला
हर एक की प्रणेता बनी
परमात्मा की अजब सेवा से
ह्र्दयमोहिनी गुलज़ार हुई
आध्यात्मिकता में डॉक्टरेट
सम्मान से वह भरपूर हुई
उछलकूद अल्हड़ मस्ती
उन्होंने कभी जानी नही
शांति, धैर्य,योग साधना में
था उनका कोई सानी नही
उन्ही के तन को रथ बनाकर
परमात्मा हमसे बतियाते रहे
कलियुग से सतयुग आएगा
यह सत्य हमे समझाते रहे
पवित्र से पावन बनाने की
विधि उन्होंने ही बताई थी
चरित्र निर्माण की अलख जगा
दुनिया को राह दिखाई थी
93 वर्षों का जीवन उनका
परमात्म सेवा के नाम रहा
नारी शक्ति की अग्रदूत रुप मे
ह्र्दयमोहिनी का नाम रहा।
#श्रीगोपाल नारसन
सपना (स.अ.)
जनपद-औरैया

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