आस्था का प्रमुख केंद्र : कालिका आश्रम

0 0
Read Time4 Minute, 55 Second

जनपद आगरा की तहसील फतेहाबाद के गांव – रिहावली में यमुना नदी के तट पर स्थित मॉं कालिका मंदिर (आश्रम) आस्था का प्रमुख केंद्र है । प्राचीन समय से यहॉं श्रद्धालुओं की आस्था रही है और आज भी जस की तस बनी हुई है । काफी समय तक मंदिर का निर्माण अधूरा रहा, इसका प्रमुख कारण स्थानीय लोगों की उदासीनता रहा, लेकिन कुछ वर्ष पहले गांव के परिश्रमी युवाओं ने सामूहिक चंदा इकट्ठा करके एक भव्य मंदिर का निर्माण करा दिया । अब हम मंदिर में स्थापित मूर्तियों के इतिहास के संबंध में बात करेंगे । स्थानीय बड़े – बूढ़ों से प्राप्त जानकारी के अनुसार –

चैत्र शुक्ल पॉंच को प्रत्येक वर्ष बड़ी ही धूमधाम, हर्षोल्लास के साथ “काली की जाती” कालिका मेले का शुभ आयोजन किया जाता है । प्राचीन समय में किसी वयोवृद्ध को बकरियां चराते समय झाड़ियों में मां कालिका की मूर्ति के दर्शन हुए । तभी से पूजा अर्चना अनवरत चली आ रही है । यहां शुद्ध सनातनी परंपरा से पूजा अर्चना की जाती है । कुछ लोग गलत अनुमान लगा लेते हैं । मॉं काली का नाम आते ही लोगों के मन में भाव बलीप्रथा जैसे आ जाते हैं, परंतु यहां ऐसा कुछ भी नहीं है । मेले में देशभर से व्यापारी लोग अपना सामान बेचने के लिए आते हैं । ग्रामवासियों के सौजन्य से उचित खाने – पीने व विश्राम की व्यवस्था की जाती है । मेले में ग्रामीण संस्कृति के दर्शनों की मनोरम झलक हृदय को प्रफुल्लित कर देती है । माता रानी के दरबार में सच्चे दिल से की गई हर कामना पूर्ण होती है, ऐसी मान्यता है ।
वहीं अगर चमत्कार की बात करें तो कई बार चमत्कार देखा गया है । एक बार नहीं कई – कई बार चोरों ने माता कालिका की मूर्तियां चोरी कीं और वे अपने प्रयोजन में सफल भी हो गए, परंतु कुछ समय बाद ऐसी घटनाएं उनके साथ घटित हुई कि उन्हें मूर्तियां वापस मंदिर में स्थापित करनी पड़ीं ।

गांव के नवजवानों ने मेले के दिन दंगल की शुरुआत कुछ साल पहले शुरू की जो काफी सफल रही । हालांकि मेले के दिन दंगल का आयोजन सही नहीं है । दंगल को एक दिन आगे पीछे रखा जा सकता था, परंतु अदूरदर्शिता व अज्ञान की वजह से यह सब अनवरत पिछले कई सालों से आयोजित हो रहा है । हम सभी जानते हैं कि देवीय मेले अधिकांश महिला प्रधान ही होते हैं । दंगल जैसे कार्यक्रमों में सभी तरह के लोग आ जाते हैं, जो हुड़दंग मचाकर अशांति, अव्यवस्था फैलाते हैं ।

गांव के मेले – ठेले गांव की प्राचीन संस्कृति को जिंदा रखे हुए हैं । इन मेलों में गांव की जीवन्त झलक बखूबी देखी जा सकती है । अगर हम लोकगीत, लोकनृत्य की बात करें तो मां कालिका के मेले में देखी जा सकती है । इस साल से हम कार्यक्रमों की कवरेज करेंगे । सभी वीडियोज यूट्यूब चैनल – कालेश्वर फिल्मस पर देखे जा सकेंगे ।

पूर्ण प्राकृतिक वातावरण में स्थापित यह आश्रम अब पहले से काफी प्रगति कर चुका है । बिजली-पानी की व्यवस्था, मैदान आदि सभी उपलब्ध हैं । वैसे यहां व्यवस्थाएं और भी उन्नत हो सकती थीं, अगर ग्राम पंचायत रिहावली इस ओर ध्यान देती, परंतु ग्राम के विकास में हमेशा से उदासीन रही और ग्राम पंचायत के पदाधिकारी स्वयं के विकास में ही मस्त रहे ।

खैर हम तो धार्मिकता की बात करेंगे, जो जैसा करेगा वो वैसा भरेगा । आप सभी प्रिय व सम्मानित पाठकों का हमारे कालिका धाम में हृदय से स्वागत है….।

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
फतेहाबाद, आगरा

matruadmin

Next Post

बहुत याद आए

Mon Feb 22 , 2021
बहुत याद आए , बचपन प्यारा। सुन्दर सलोना , समय प्यारा प्यारा। ना सोने की चिंता। ना उठने जल्दी । ना काम कोई था, ना कोई भी जल्दी । वो गुड्डा गुड़िया की, शादी निराली। वो नाचना मस्ती में, बनके बाराती। वो गुल्ली डण्डा, साइकिल चलाना। वो खो-खो, कबड्डी, वो […]

पसंदीदा साहित्य

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।