
कवि कला संगम परिवार व सुरभि साहित्य अकादमी के द्वारा वरिष्ठ साहित्यकार श्री ॠषिराज जी निमाड़े इन्दौर( खंडवा की माटी) का हरीगंज स्थित कार्यालय पर सम्मान किया गया। डॉ जगदीश चंद चौरे ने बताया कि श्री निमाडे खंडवा की माटी के कलाकार है, इन्हें संवाद साहित्यक सांस्कृतिक सामाजिक शोध संस्थान उज्जैन के द्वारा विगत रविवार को ही शारस्वत महाअलंकरण सम्मान से सम्मानित किया गया है। यह निमाड़ी भाषा के कवि और साहित्यकार है यह निमाड़ी में ही अपनी रचनाएं लिखते है। इन्होंने अनेको काव्य रचनाएं निमाड़ी और हिंदी भाषा में लिखी है जो राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित होती रहती है।
श्री निमाडे रविवार के दिन इंदौर से खंडवा पधारे थे। खंडवा पधारने पर कवि कला संगम परिवार व सुरभि साहित्य अकादमी के सदस्यों द्वारा बहुत अल्प समय मे सम्मान समारोह आयोजित कर
शाल, श्रीफल, पुष्पहार व सम्मानपत्र भेंट कर श्री निमाडे को सम्मानित किया गया। तथा
कविता पाठ और काव्य रचनाओं का कार्यक्रम आयोजित किया गया।
श्री निमाडे ने कहा कि अकादमी सदस्यों ने जो मुझे सम्मान दिया है उसके लिये में सभी सदस्यों का बहुत बहुत आभारी हूं। उन्होंने कहा कि में खंडवा का ही रहने वाला हु, कुछ परिस्थितियों के कारण इंदौर जाना पड़ा पर में अपनी जन्मभूमि को नही भूला हु। में अपने नाम के साथ खंडवा की माटी लिखता हूं। जिससे जन्मभूमि का जुड़ाव हमेशा रहता है।
सम्मान समारोह में विषेषतः डॉ जगदीश चंद चौरे, सुनिल चौरे उपमन्यु, डॉ राघवेन्द्र दूबे, तारकेश्वर चौरे, त्रिलोकचन्द्र चौधरी आदि वरिष्ठ अधिकारियों व कवियों ने अपनी रचनाओं व शब्दावली से पल्लवित किया। सुनिल चौरे उपमन्यु ने कहा कि श्री निमाडे से मिलना ही आज की सार्थकता होगी, इनके बारे में बहुत कुछ सुन रखा था और आज देखा भी साहित्यकार श्री ॠषिराज जी निमाड़े खंडवा की माटी ने निमाड़ी रचना गीत माहरी फोटूक मत खींचो प्रस्तुत कर मानस पटल पर छा गए, कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ जगदीश चंद चौरे ने की, मंच संचालन सुनिल जी चौरे उपमन्यु ने किया व आभार उदित राघवेन्द्र जी दूबे ने माना।