
चार रोटी हजम
कर लेते हो तो।
किसी की चार बातें भी
हजम करना सीखो।
कह गये कड़वे शब्दो पर
मौन रहकर विचार करो।
और समय का इंतजार करो
उन्हें अपनी की करनी का फल
इसी भव में मिल जायेगा।
इसलिए अपनी शक्ति को
यू ही बर्बाद मत करो।।
अमीरी दिलसे होती है
धन से नहीं।
सुखकी प्राप्ति दान से होती है
धन संग्रह से नहीं।
पाप की नींव पर पुण्य का
महल खड़ा नहीं होता है।
इसलिए धर्म को चुने
और परिग्रह से बचे।।
कोई भी संकट मनुष्य के
साहस से बड़ा नहीं।
हारा वही,
जो संकट से लड़ा नहीं।
इसलिए अपने कर्म पर
यकीन करो।
और वेबजह की चिंता
करना तुम छोड़ दो।।
धन से सुविधायें तो
जुटाई जा सकती हैं।
किंतु आत्म सुख सन्तोष नहीं।
क्योंकि साम्राज्य की अपेक्षा
सम्यग्दर्शन अधिक मूल्यवान है।
इसे प्राप्त करने की
अपने जीवन में कोशिश करो।।
जितने की आवश्यकता है
उतने का उपयोग करे।
बाकी का उन्हें दे
जिन्हें इनकी जरूरत है।
जैन दर्शन के अनुसार
दया धर्म के पथ पर चलोगें।
तो मोक्ष मार्ग को प्राप्त करोगे।।
जय जिनेंद्र देव
संजय जैन मुंबई