ओमपाल सिंह निडर ‘स्वर्णाक्षर सम्मान’ से सम्मानित

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सौगंध राम की खाते है, मंदिर वहीं बनाएंगे-निडर

इंदौर । हिन्दी काव्य मंचों के सशक्त हस्ताक्षर और ओजस्वी भाव के कवि जिन्होंने सौगंध राम की खाते है, मंदिर वही बनाएंगे जैसी अतुलनीय नारे लिखे, फिरोजाबाद के कवि ओमपाल सिंह ‘निडर’ को ‘मातृभाषा उन्नयन संस्थान’ द्वारा ‘स्वर्णाक्षर सम्मान’ से सम्मानित किया गया। यह सम्मान संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’, हिन्दी योद्धा रोहित त्रिवेदी, जलज व्यास, ऋषभ जैन द्वारा प्रदान किया गया।
कवि ओमपाल सिंह निडर जी ने पाँच दशक से अधिक समय हिन्दी कवि सम्मेलनों को दिया है, ओजस्वी भाव की कविताएँ लिखी है, आप संसद सदस्य भी रह चुके है। स्वर्णाक्षर सम्मान ग्रहण करते हुए श्री निडर ने कहा कि ‘ओजधारा की कविताओं के कारण ही आज मैं ज़िन्दा भी हूँ। एवं हिन्दी जन जन की भाषा है, और हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनना ही चाहिए।’
संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ने बताया कि ‘स्वर्णाक्षर सम्मान हिन्दी कवि सम्मलेन मंचों पर हिन्दी प्रचार करने के लिए एवं कवि सम्मेलन मंचों के लगभग सौ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा प्रत्येक मूर्धन्य कवि को दिया जाएगा। इसी कड़ी में प्रथम स्वर्णाक्षर के लिए गीतकार संतोष आनंद जी को सम्मानित किया गया, संस्थान का उद्देश्य हिन्दी का प्रचार करना है।’
मातृभाषा उन्नयन संस्थान की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. नीना जोशी, राष्ट्रीय सचिव गणतंत्र ओजस्वी, कोषाध्यक्ष शिखा जैन, कार्यकारिणी सदस्य भावना शर्मा, नितेश गुप्ता, सपन जैन आदि ने ओमपाल सिंह निडर को शुभकामनाएँ दीं।

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मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।