Read Time1 Minute, 9 Second
कभी हँसते हुए छोड़ देती ये जिंदगी…
…कभी रोते हुए छोड़ देती ये जिंदगी…।
…न पूर्णविराम सुख में,
…न पूर्णविराम दुःख में
..बस जहाँ देखो वहाँ अल्प विराम छोड़ देती है ये जिंदगी..।।
प्यार की डोर सजाए रखो,
दिल को दिल से मिलाए रखो।
क्या लेकर जाना है साथ में,
इस दुनिया से,
मीठे बोलकर रिश्तों को बनाए रखो..।
#रुपेश कुमार
परिचय : चैनपुर ज़िला सीवान (बिहार) निवासी रुपेश कुमार भौतिकी में स्नाकोतर हैं। आप डिप्लोमा सहित एडीसीए में प्रतियोगी छात्र एव युवा लेखक के तौर पर सक्रिय हैं। १९९१ में जन्मे रुपेश कुमार पढ़ाई के साथ सहित्य और विज्ञान सम्बन्धी पत्र-पत्रिकाओं में लेखन करते हैं। कुछ संस्थाओं द्वारा आपको सम्मानित भी किया गया है।
Average Rating
5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%
पसंदीदा साहित्य
-
April 30, 2018
परमात्मा
-
June 21, 2020
पिता जीवन का आधार
-
August 14, 2018
वतन से हमको भी यारा
-
July 10, 2017
बेटी
-
April 24, 2017
`आधुनिकीकरण` से आर्थिक गुलामी