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भला लोग क्यों खंजर उठाने लगे
और दहशत का मंजर बनाने लगे
जान के दुश्मन बन गए भाई भी
वो कौन लोग आपस मे लड़ाने लगे
कदर ना रही रिश्ते नातों की यहाँ
अपने ही अपनो को मिटाने लगे
हा ये कलयुग है कहते है जब सभी
आम है वो लोग जो तिलमिलाने लगे
हाथ मिलाने से कतराने लगे लोग
झूठ कहते है वो, दिल मिलाने लगे
-किशोर छिपेश्वर”सागर”
भटेरा चौकी बालाघाट
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