विधा – मंदाक्रांता छंद !
विधान~ [{मगण भगण नगण तगण तगण+22}
( 222 211 111 221 221 22)
17 वर्ण, यति 4, 6,7 वर्णों पर, 4 चरण
[दो-दो चरण समतुकांत]
आस्था मेरी ,परम विकसी, प्यार उन्माद छाया!
लीला छाई , नवरस भरी , व्यक्त आनंद पाया !
पीड़ा देती , सघन रजनी , भोर संदेश लाई !
जागी निष्ठा , नवल किरणें , दिव्य संकेत पाई !!
हारी बाज़ी, मन कलुषता, छोड़ उम्मीद पाओ !
भीगी नैना, दुख विकसता, ओज विश्वास लाओ !
चट्टानों सी , सहन क्षमता, बोझ विस्तार झेलो !
कल्याणी हो , जगत करनी ,दाँव उद्धार खेलो !!
जागो प्राणी , तमस गहरा , रश्मि आकाश छू लो!
फैली आभा , गगन नगरी , स्थूल आभास भूलो !
आशा जीती , महक उठती, देह आल्हाद कारी !
वाणी गाती , रस सहचरी , नेह आनंद भारी !!
#छगन लाल गर्ग विज्ञपरिचय-छगन लाल गर्ग “विज्ञ”!जन्मतिथि :13 अप्रैल 1954जन्म स्थान :गांव -जीरावल तहसील – रेवदर जिला – सिरोही (राजस्थान )पिता : श्री विष्णु राम जीशिक्षा : स्नातकोतर (हिन्दी साहित्य )राजकीय सेवा : नियुक्ति तिथि 21/9/1978 (प्रधानाचार्य, माध्यमिक शिक्षा विभाग, राजस्थान )30 अप्रैल 2014 को राजकीय सेवा से निवृत्त ।प्रकाशित पुस्तके : “क्षण बोध ” काव्य संग्रह गाथा पब्लिकेशन, लखनऊ ( उ,प्र)“मदांध मन” काव्य संग्रह, उत्कर्ष प्रकाशन, मेरठ (उ,प्र)“रंजन रस” काव्य संग्रह, उत्कर्ष प्रकाशन, मेरठ (उ,प्र)“अंतिम पृष्ठ” काव्य संग्रह, अंजुमन प्रकाशन, इलाहाबाद (उ,प्र)“तथाता” छंद काव्य संग्रह, उत्कर्ष प्रकाशन, मेरठ (उ.प्र.)“विज्ञ विनोद ” कुंडलियाँ संग्रह , उत्कर्ष प्रकाशन मेरठ (उ.प्र. ) ।“विज्ञ छंद साधना” काव्य संग्रह, उत्कर्ष प्रकाशन!साझा काव्य संग्रह – लगभग २५सम्मान : विद्या वाचस्पति डाक्टरेट मानद उपाधि, साहित्य संगम संस्थान नईं दिल्ली द्वारा! विभिन्न साहित्यिक मंचो से लगभग सौ से डेढ सो के आस-पास!वर्तमान मे: बाल स्वास्थ्य एवं निर्धन दलित बालिका शिक्षा मे सक्रिय सेवा कार्य ।अनेकानेक साहित्य पत्र पत्रिकाओ व समाचार पत्रों में कविता व आलेख प्रकाशित।वर्तमान पता : सिरोही (राजस्थान )