Read Time42 Second

भौतिक उन्नति पथ बढ़ चले
मशीन की मानिद बन चले
जल्दी सोना हम भूल गए
जल्दी उठना भी भूल गए
सुबह शाम की संध्या याद नही
निस्वार्थ के रिश्ते भूल गए
दादी नानी की कहानी कहां गई
बचपन जीना ही सब भूल गए
दूध, दही ,घी और मठ्ठा
मक्खन-रोटी खाना ही भूल गए
बडो के सम्मान में सिर झुकाना
गुरुओ का सम्मान ही भूल गए
चरित्र निर्माण का पाठ पढ़ना
जीवन के मूल्यों को भूल गए।
#श्रीगोपाल नारसन
Post Views:
500