देह

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नीरू अपने बेटे की शादी को लेकर बड़ी ख़ुश थी । बहुत से सपने सज़ा रखे थे नीरू  ने समीर की शादी के । और सही भी था समीर नीरू का इकलौता बेटा था । बड़े अरमान थे उसकी शादी के । आख़िर वो दिन भी आ गया संकेत और नीरू ने बड़े धूम – धाम से समीर की शादी की । रुचि को बहु के रूप में पा सभी बड़े ख़ुश थे ।

सब कुछ ठीक चल रहा था कि अचानक संकेत को दिल का दौरा पड़ा और वो शांत हो गए …..
संकेत के जाने के बाद नीरू बहुत अकेला महसूस करती वो गुमसुम सी रहने लगी । संकेत के जाने के कुछ दिनों बाद ही समीर को प्यारा सा बेटा हुआ ।
अब तो सारा समय नीरू का राघव की देखभाल में ही बीत जाता । रुचि ने भी देखा नीरू बच्चे की देखभाल अच्छे से कर रही है और साथ ही घर के काम भी उसनेघर पर ही बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया ।

समय यूँ ही बीत रहा था। नीरू की उम्र भी हो चली थी । बड़ती उम्र  वजह से नीरू अब पहले की तरह घर के काम नहीं कर पाती थी , ऊपर से बी पी की मरीज़ । अब तो नीरू के घर आए दिन किसी न किसी बात  लेकर झगड़े होने लगे । समीर या  चुप रहता या फिर कहता माँ तुम काम क्यों नहीं करती दिनभर तो ख़ाली बैठी रहती हो ? इन सब बातों का परिणाम ये हुआ की अधिक टेंशन की वजह से नीरू ने बिस्तर पकड़ लिया ।अब तो नीरू पे जैसे गाज ही गिर  पड़ी। दो वक़्त खाना भी ताने के साथ परोसा जाता।

…….उसका तो जैसे जीना ही दूभर हो गया । कभी कभी जो नीरू से मिलने उसकी सहेलियाँ आती थीं उनका भी आना बंद करवा दिया । धीरे धीरे सारी बातें समीर के कानों तक पहुँची। समीर अपनी माँ को बहुत चाहता था रोज़ की कलह से बचने के लिए ही रुचि के सामने माँ को ही बोल दिया करता। समीर ने जब देखा पानी सर से ऊपर जा रहा है और रुचि अपनी हद पर कर रही है उससे रहा न गया । एक दिन समीर और रुचि  बीच माँ को लेकर बहुत बहस हुई। रुचि बहुत ग़ुस्से में थी उसने आव देखा न ताव ग़ुस्से में बोल दिया अपनी माँ को वृद्धाश्रम क्यों नहीं भेज देते ।इतना सुनते ही चटाक……………….. की आवाज़ पूरे कमरे में गूँज गई ……………… किस बात का ग़ुरूर है तुम्हें रुचि! माँ जब तक कर सकती थी माँ ने किया  । अब तुम देखो माँ का देह कितना  क्षिर्ण हो चुका है उम्र हो चुकी है माँ की । आज तुम अपनी जिस देह का घमंड कर रही हो न वो भी चार दिन में ढल जाएगी रुचि ……………..

#अदिति रूसिया

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।