
अब इस संसार में,
संस्कार बहुत कम दिखता है,
धोखे के बाजार में,
मां बाप का प्यार बिकता है।।
छोड़ देते है वृद्धाश्रम में उन्ही के बच्चे
जिन्हे मां बाप अपने खून से सिंचता है।।
पाल पोषकर बड़ा किया,
उन्हे उनके पैरो में खड़ा किया।
मंदबुद्धि औलाद की ये तो नीचता है।
जो भूल जाते मां के उपकार को,
उन्ही से उनके बच्चे ऐसे अधर्म सीखता है।।
संस्कार की धरती मे ,
भगवान को मंदिर से निकालना,
सबसे बड़ा अभिशाप है!
द्वार पे ताके देखके भगवन,
सुख के लोभी हंस रहा, दुख मे मां और बाप है।
संस्कार की दुनियां में
आज हो रहा ये पाप है।
भूल रहे धर्म को,
ढोंगी तेरा जाप है,
रो रहे गर मां बाप तो
तेरी झुठी पूजा पाठ है।।
भोजराज” गोपी” वर्मा
ग्राम – टूरीपार( घुमका)
जिला – राजनांदगांव
छतीसगढ़