मेरी माँ

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तू ही मेरी मदर है, तू ही मेरी माता,
तू ही अम्मा, आई मेरी, तू ही है जग माता।

मुझको दिया है जीवन तूने, तूने ही मुझको पाला,
खून से अपने सींचा तूने, हर पल में तूने ही मुझे संभाला।

उंगली पकड़कर तूने मां चलना सिखलाया मुझको ,
लड़खड़ाए जब भी पैर मेरे, आकर तूने दिया सहारा मुझको।

सुन रोने की आवाज, तू दौड़ी दौड़ी आई मां,
साथ में अपने खेल खिलौने और दूध की बोतल लाई मां।

मुझे सुलाने की कोशिश में, तू सारी रात है जागी मां,
आगे पीछे रहे सदा, तू बन कर मेरी परछाई मां।

माथा चूम कर मुझे जगाती, सुबह हो गई यह बतलाती,
मेरी शैतानी और बदमाशी पर कभी ना मां तू झल्लाती।

याद आए मां तेरी दूध कटोरी, वो थपकी तेरी और मीठी सी लोरी,
तू है मेरी अच्छी प्यारी मां और मैं हूं नटखट तेरी चटोरी।

आई जब से परदेश में मां,कोई अपना ना पाया है,
मतलब कि इस दुनियां में ,बस धोखा ही धोखा खाया है।

दुखों की धूप है छाई मुझ पर,ना पायी तेरे आंचल की छाया है,
बचपन में रहती थी तू हरपल, बनके मेरा साया है।

जी करता है गले लगा कर रोऊं मैं और तुझको दुखड़े अपने सुनाऊं मैं,
ओढ़ के तेरा आंचल मां, चैन की गहरी नींद सो जाऊं मैं।

बचपन की उन मीठी यादों में ,फिर से गुम हो जाऊं मैं,
छोड़ कर दुनियादारी सब, फिर से बच्ची बन जाऊं मैं।

भाई बहन के झगड़े मां फिर से आकर निपटाए तू,
खीर पूरी पुआ कचौरी ,अपने हांथों से हमें खिलाए तू।

होते पंख अगर मेरे , चिड़िया बनकर मैं उड़ आती ,
चुगती दाना तेरे आंगन में और शाम ढले घर वापस आ जाती।

मां तेरे जैसा ना कोई जग में ,कोई अंतर ना तुझमें और रब में,
पूजयनीय है मां तू सबकी, बन कर लहू बहे तू हम सबमें।

कभी किसी कि मां ना रूठे ,कभी किसी की मां ना छूटे,
संतानों के बुरे कर्मों से ,कभी किसी मां का दिल ना टूटे।

शत शत बार मैं बारी जाऊं,हर पल तेरे सजदे मैं गाऊं,
तेरे जीवन की गाथा पर ,एक महाकाव्य मै लिख जाऊं।

 रचनाकार
 सपना 
 जनपद औरैया

matruadmin

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विजय

Sun Oct 25 , 2020
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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।