ज्येष्ठ पुत्र

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पुत्र ज्येष्ठ है यदि तू अपने कुल का
तो संघर्षों और विपत्तियों से मत डर
चाहता है अनुज हो तेरा लक्ष्मण जैसा
पहले तू स्वयं राम-सा कर्म तो कर

अपने पिता के वचन की लाज निभाने
ज्येष्ठ जटिल जीवन पथ अपनाते हैं
हो प्राप्त विजय अनुजों को इसलिए
सहर्ष वो स्वयं पराजित हो जाते हैं

लाँघते नहीं मर्यादा कभी अपने कर्मों से
विचलित होकर धैर्य कभी खोते नहीं
असि नहीं उठाते हैं स्वजनों पर
ज्येष्ठ पुत्र निष्ठुर कभी होते नहीं

आलोक कौशिक
बेगूसराय (बिहार)

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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