ठंड और पेट की आग

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jp pandey
सफेद फैलती चादर,
आसमान से झरते धवल फाहों से निर्मित
एक नए साम्राज्य की स्थापना…
पारे का गिरता तापमान
भयावह ठंड,
जिद्दी,बेदर्द,बेपरवाह
इस आततायी तानाशाह के अनेकानेक रूप,
एक पब में
चौंधियाते दूधिया प्रकाश में नृत्य करती बालाएं,
कोट,पेंट,टाई में सजे भद्रजन
फर्राटा भरती गाड़ियाँ
तानाशाह की अवज्ञा,
साहस के बजाए पैसों के बल पर मुकाबला करते कुलीनजन
मजाल क्या इस शीत लहर की,
एक डिग्री तापमान भी गिरा कर दिखाए
सामने खड़ीं उत्तुंग अट्टालिका के कमरों में।
पूस की रात का हल्कू,
अर्ध रात्रि में नहर से खेतों में पानी लगा रहा है…
वह फसल को बर्बाद होते नहीं देख सकता,
उसे ठंड का सामना करना ही होगा
एक रात की ठंड से बच भी गया तो क्या
भूख की भीषणता उसे सदैव के लिए ठंडा कर देगी,
जोर से काली कमरी को लपेटे
शीतल जल में खड़ा
कांपता,
कितने ही पेटों को ऊष्मा देने के प्रयत्न में।
नेकी की दीवार से लाए फ़टे-पुराने चादरों को,
जबरजस्ती खींचकर ओढ़ने की कवायद में मशगूल..
फुटपाथ पर पूरा परिवार,
अलाव की आग हो गई है ठंडी
कुकियाते कुत्ते से भंग होती शून्यता,
शून्य की तरफ गिरता तापमान
शून्यता में विलीन होने को तत्पर यह परिवार…
कैसे चलेगा पास का थर्मल प्लांट,
कैसे बनेगी अट्टालिका।
ग्रीष्म की लू हो या भीषण ठंड,
मरना तो इनको ही होगा…
प्रकृति के प्रकोप से बचने के लिए जेबें ढीली करनी पड़ती है,
इनकी तो जेबें फ़टी है..
या है ही नहीं॥
          #जे.पी.पाण्डेय
परिचय: जे.पी.पाण्डेय का निवास उत्तराखंड राज्य के शहर मसूरी में है। आपकी जन्मतिथि-९ अप्रैल १९७६ तथा जन्म स्थान-भिलाई है। एमए और एलएलबी की शिक्षा हासिल करके बतौर कार्यक्षेत्र आप प्रशासनिक सेवा(इंडियन रेलवे पर्सनल सर्विस)में हैं।
लेखन क्षेत्र में आपकी विधा-कविता, कहानी और संपादकीय लेख है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रुप से लेखन जारी है। लेखन में आपको ‘आगमन साहित्य सम्मान’ मिला है तो प्रशासनिक सेवा में उत्कृष्टता के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किया है। लेखन का उद्देश्य-सामाजिक सरोकार निभाते हुए विसंगतियों का चित्रण करके उन्हें सुधारना है।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।