राज्यकवि श्री उदय भानु हंस के जन्मदिन पर आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट रोहतक रेडियो स्टेशन से वार्ता।

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हरियाणा के प्रथम राज्यकवि स्वर्गीय श्री उदय भानु हंस जी का जन्म 2 अगस्त 1926 को हाल पाकिस्तान में सारस्वत ब्राह्मण परिवार में हुआ। माता श्रीमती गणेश देवी तथा पिता पंडित विश्वनाथ शर्मा प्रकांड विद्वान थे।
हंस जी की प्राथमिक शिक्षा गांव से तीन कोस दूर के स्कूल में हुई। स्कूल के रास्ते में पुल रहित पानी का नाला पड़ता था हंस जी बताया करते बरसात के दिनों में नाला पार करने के लिए कपड़े व थैला सिर पर रखकर एक दूसरे का हाथ पकड़ कर सहारा लेना पड़ता था, स्कूल आते-जाते पेड़ों की छाया में पगडंडियों पर बैठ कर लिखना शुरू किया और देश विदेश में रूबाई सम्राट के नाम से विख्यात हुए। देश विभाजन के बाद हिन्दुस्तान के विभिन्न स्थानों पर रहने के बाद हिसार में अपना आशियाना बना रहने लगे।
20 सितंबर 1954 हिसार राजकीय महाविद्यालय में हिंदी प्राध्यापक के तौर पर नियुक्ति। 1954 से 1971 तक हिसार में, उसके बाद 8 साल तक भिवानी राजकीय महाविद्यालय में ,1984 में लेक्चरर से प्रिंसिपल पोस्ट पर पदोन्नति व हांसी के सरकारी कालेज के प्रिंसिपल के तौर पर नियुक्त हुए और 30 जून 1988 को यहीं से सेवानिवृत्त हुए।
श्री आनंद जी ने इस अभूतपूर्व वार्ता के लिए जो समय चुना वह काबिले तारीफ़ है क्योंकि राज्य कवि उदयभानु हंस जी के जन्मदिन पर उनके जीवन व साहित्य पर प्रकाश डाल कर उन्होंने दिवंगत महान कवि की आत्मा को सच्ची श्रृद्धांजलि भेंट की है। उन्होंने स्वयं तो राज्य कवि को श्रद्धांजलि दी ही साथ ही असंख्य लोगों तक रेडियो के माध्यम से यह संदेश पहुंचा कर उनको भी श्रृद्धांजलि व्यक्त करने का अवसर देकर एक बहुत बड़े पुण्य का कार्य किया है।
हरियाणा के प्रथम राज्यकवि श्री उदयभानु हंस जी के जीवन से जुड़ी तमाम घटनाओं तथा तथ्यों का बहुत ही सरल व सहज तरीके से कम समय अवधि में रखना अपने आप में एक बड़ी चुनौती व उपलब्धि है । इस वार्ता में दिवंगत कवि के जन्म स्थान, माता -पिता, शिक्षा, बचपन से जुड़ी घटनाएं व यादें, युवा काल के मित्र, छात्र काल से जुड़ी हुई यादें, स्कूल व संस्थाओं की स्मृतियां, सहपाठी गण, प्रिय शिक्षक, कवि के रूप में आने वाले संघर्ष व जीवन के उतार चढ़ाव ,नौकरी , परिवार, पदोन्नतियां, सेवानिवृत्ति, साहित्यिक व पारिवारिक समस्याएं, शादी , साहित्य से जुड़े अनेक सम्मान व पुरस्कारों आदि का वर्णन हुआ है। संक्षेप में यह कहना उचित होगा कि श्री आनंद प्रकाश आर्टिस्ट ने इस वार्ता के माध्यम से कवि श्री उदय भानु हंस का लघु जीवन वृतांत प्रस्तुत करने का सफल प्रयास किया है जो अपने आप में एक अनूठी व रचनात्मक पहल है।
इस वार्ता में वार्ताकार द्वारा कवि श्री उदयभानु हंस की साहित्यिक रचनाओं की चर्चा भी हुई। उनमें से कुछ महत्वपूर्ण रचना हैं – धड़कन जो 1957 में प्रकाशित हुई। सरगम -गीत- ग़ज़ल संग्रह है। संत सिपाही – विश्वविख्यात रचना है जिस पर अनेक शोध पत्र लिखे जा चुके हैं।
शंख शहनाई ,देशों में देश हरियाणा व हरियाणा गौरव गाथा जिसका 1981 में प्रकाशन हुआ । अमृत कलश बहुत ही सुंदर व बहुत विशेष रचना है जो 1992 में प्रकाशित हुई।
सम्मान व पुरस्कार
1943 में कवि भूषण पुरस्कार से सम्मानित ।
1967 में राज्य कवि का दर्जा प्राप्त हुआ ।
1968 में संत सिपाही पर अखिल भारतीय निराला पुरस्कार से सम्मानित हुए। 1977 में देशों में देश हरियाणा रचना पर हरियाणा सरकार द्वारा सम्मानित।
आदरणीय श्री आनंद प्रकाश आर्टिस्ट ने श्री उदय भानु हंस जी के जीवन और कृतित्व स्वयं भी दो शोध ग्रंथ लिखे हैं जिनके नाम हैं- ‘उदयभानु हंस की साहित्यिक उड़ान ‘ व दूसरी पुस्तक का नाम है- ‘ उड़ गया हंस अकेला ‘
वार्ताकार श्री आनंद प्रकाश आर्टिस्ट जी का श्री उदयभानु हंस के साथ बहुत गहरा नाता था। उनके जीवन काल में श्री आनंद प्रकाश आर्टिस्ट ने स्वरचित प्रथम ग्रंथ उनके अंतिम जन्मदिन पर हिसार स्थित उनके निवास स्थान ‘हंस विहार’ पर जन्मदिन के एक उत्तम तोहफे के रूप में भेंट किया था जिसको देखकर हंस जी की आत्मा प्रसन्न हो गई थी ।
लेकिन कहते हैं कि समय सदैव एक जैसा नहीं रहता और वह समय श्री उदय भानु हंस जी के लिए भी नहीं रहा और 20 फरवरी 2019 को साहित्य का यह अद्भुत हंस सदा सदा के लिए किसी अनजान लोक की तरफ उड़ गया।
इस महान कवि के लिए उनके जीवन काल में भी और उनकी मृत्यु के बाद भी अगर कोई साहित्यकार सच्ची लगन व शुद्ध अन्तःकरण से कार्य कर रहा है तो वह साहित्यकार केवल आनंद प्रकाश आर्टिस्ट ही हो सकता है।
हंस जी ने हिसार प्रवास के दौरान साहित्य की दृष्टि से बंजर भूमि पर साहित्यिक संस्थाओं का गठन किया व साहित्यिक आयोजनों का प्रचलन हुआ, नगर की प्रमुख साहित्यिक संस्था प्रेरणा परिवार के निदेशक शुभकरण गौड़ उन्हीं की प्रेरणा से बीस साल से साहित्य के क्षेत्र में गिने जाने व्यक्तियों में आते हैं।
उदयभानु हंस ने न केवल साहित्य को बल्कि शहर के हर क्षेत्र में अपना योगदान दिया परन्तु आज विडम्बना यह रही कि उनके देहांत के बाद दूसरी जयंती पर उनके शहर में किसी भी साहित्यिक या सामाजिक संगठन ने दो मिनट के लिए भी याद तक नहीं किया। जब तक वह जिवित रहे शहर के लोग उनके जन्मदिन पर बड़े पैमाने पर आयोजन किया करते थे।
हम आभारी हैं आनंद प्रकाश आर्टिस्ट के जिन्होंने अपने प्रयास से रोहतक रेडियो स्टेशन पर वार्ता का आयोजन करवाया व वार्ताकार के रूप में स्वयं उपस्थित रहे व अच्छी जानकारी दी।

शुभांकर गौर

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