आभासी दुनिया का प्यार}

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उस व्यक्ति के प्रोफ़ाइल में लगी तस्वीर को देखकर स्नेहा कश्यप काफ़ी आकर्षित हो गई। अत्यंत आकर्षक व्यक्तित्व वाले उस युवक का नाम था – दिवाकर देव।
दिवाकर देव के फ़ेसबुक में अपलोड उसकी तस्वीरों को देखकर स्नेहा मुग्ध होती रही। क़रीब दो घंटे तक दिवाकर देव के प्रोफ़ाइल की जाँच करने के उपरांत स्नेहा ने दिवाकर देव को मित्रता निवेदन भेजा। दिवाकर देव भी उस वक्त ऑनलाइन ही था। उसने स्नेहा कश्यप का मित्रता निवेदन स्वीकार कर लिया। मित्रता निवेदन स्वीकार होते ही स्नेहा ने फ़ेसबुक मैसेंजर पर दिवाकर देव को ‘शुभ प्रभात’ लिखकर प्रेषित किया। दिवाकर देव ने भी ‘सुप्रभात’ लिखकर प्रत्युत्तर दिया। दोनों में औपचारिक बातें होने लगीं। कुछ ही दिनों में दोनों में अच्छी दोस्ती भी हो गई। धीरे-धीरे स्नेहा को दिवाकर देव से बात करने की लत लग गई। जिस दिन दिवाकर देव मैसेंजर पर स्नेहा की बातों का प्रत्युत्तर नहीं देता, स्नेहा बेचैन हो जाती थी। स्नेहा ने महसूस किया कि उसे दिवाकर देव से प्यार हो गया है। कुछ दिनों के बाद वैलेंटाइन डे था, इसलिए उसने उसी दिन अपने प्यार का इज़हार करने का सोचा।
रात के ग्यारह बज रहे थे। स्नेहा बहुत खुश थी, क्योंकि आज रात बारह बजे वह दिवाकर देव से अपने प्यार का इज़हार करने वाली थी। स्नेहा ने यूँ ही दिवाकर देव की फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल खोली तो उसने देखा कि कुछ देर पहले ही दिवाकर देव ने एक तस्वीर पोस्ट की थी, जिसमें दिवाकर देव के साथ एक ख़ूबसूरत स्त्री केक काट रही थी और तस्वीर के ऊपर लिखा था – “हमारी शादी की चौथी वर्षगांठ”
दरअसल, स्नेहा ने दिवाकर देव से ना ही कभी उसकी शादी की बात पूछी थी और ना ही कभी दिवाकर देव को यह बात बताने की आवश्यकता महसूस हुई थी।

मनीषा कुमारी आर्जवाम्बिका

फतेहपुर(बिहार)

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।