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बुरे वक्त में सब रिश्ते तार – तार हुए
यार जो कल तलक थे आज वो अगयार हुए
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हर तरफ देखकर खुदगर्ज़ी, चापलूसी को
वफा और दोस्ती दोनों ही शर्मसार हुए
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कसूर अपना क्या बताएं भला मुंसिफ को
हम तो जुम्बिश-ए- मिजगां से गुनाहगार हुए
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बार – बार किया तुम पे भरोसा हमने
मगर रुसवा तेरी महफिल में हम हर बार हुए
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याद वो ही रहे हमें जो दिए अपनों ने
ज़ख्म यूँ तो हमारे दिल पे बेशुमार हुए
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#भरत मल्होत्रा
परिचय :–
नाम- भरत मल्होत्रा
मुंबई(महाराष्ट्र)
शैक्षणिक योग्यता – स्नातक
वर्तमान व्यवसाय – व्यवसायी
साहित्यिक उपलब्धियां – देश व विदेश(कनाडा) के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों , व पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित
सम्मान – ग्वालियर साहित्य कला परिषद् द्वारा “दीपशिखा सम्मान”, “शब्द कलश सम्मान”, “काव्य साहित्य सरताज”, “संपादक शिरोमणि”
झांसी से प्रकाशित “जय विजय” पत्रिका द्वारा ” उत्कृष्ट साहितय सेवा रचनाकार” सम्मान एव
दिल्ली के भाषा सहोदरी द्वारा सम्मानित, दिल्ली के कवि हम-तुम टीम द्वारा ” शब्द अनुराग सम्मान” व ” शब्द गंगा सम्मान” द्वारा सम्मानित
प्रकाशित पुस्तकें- सहोदरी सोपान
दीपशिखा
शब्दकलश
शब्द अनुराग
शब्द गंगा
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Fri Feb 22 , 2019
सरहद पर खड़े जवान हमारी आन-बान-शान । इनकी जांबाजी पर गर्व करता हिन्दुस्तान ।। खड़े रहते सीनातान सरहद पर शेरे जवान । देश का ये रक्षा कवच गर्व करता हिंदुस्तान ।। भरते नित नई उडान गाकर प्यारा राष्ट्रगान । जय हिंद,वंदे मातरम् गर्व करता हिंदुस्तान ।। शत्रु की ले लेते […]