बहिष्कार करो चीनी माल का

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बहिष्कार करो चीनी माल का,
अगर देश को तुम्हे बचाना है।
प्रण करो देशवासियों आज सभी
भारत को आत्मनिर्भर बनाना है।।

बन्द करो चीनी आयात को,
निर्यात को तेजी से बढ़ाना है।
भारत को आर्थिक दृष्टिकोण से
अब खूब माला माल बनाना है।।

आत्मनिर्भर जब होगा भारत,
तभी हर जंग लड़ पाएगा।
चीन पाक जैसे मुल्कों को,
तभी भारत धूल चटा पाएगा।।

सेना सीमा पर लड़ती हैं,
दुश्मन को मार भगाती है।
बन्द कर चीनी सामानों को,
दुश्मन की कमर टूट जाती है।।

सीख ले जापान से हम सभी,
उसने यू एस को पछाड़ा था।
बन्द कर दिया उसका सामान,
जब उसने उस पर बम डाला था।

भले ही सस्ता माल मिले तुमको,
चीनी माल का मोह छोड़ना होगा।

करो उत्पादन अपने ही देश में,योग को दैनिक जीवन में अपनाकर मन मस्तिष्क को रखें स्वस्थ्य।

16 वीं लोकसभा के गठन के बाद भारत के आह्वान पर संयुक्त राष्ट्र संध में योग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा गया जिसे स्वीकार करते हुए 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय विश्व योग दिवस के रूप में मनाने के लिए घोषित किया गया।

आज विश्व के लगभग190 देश इस दिवस को मनाने लगे है बल्कि इसकी उपयोगिता और लाभ को समझने लगे हैं।

इसे आज अंतराष्ट्रीय स्तर पर मंच प्रदान करवाने के लिए देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

भारतीय परम्पराओं में योग का स्थान आदिकाल से ही रहा है जिसे ऋषि मनीषियों ने लम्बी अवधि तक तप ध्यान में योग प्रभाव से करते थे। योग मन को एकाग्र चित करने का प्रवल मार्ग है। जिससे अनेक प्रकार की ऊर्जा के साथ नियंत्रण क्षमता विकसित होते हैं ।

योग की महत्ता को बहुत करीब से जानकर विश्व ने इसे अपनाया है और अपने जीवन के दिनचर्या में उतारकर योग से मिलने वाले लाभ को अनुभव करने लगे है यह भारत के लिए गौरव की बात है।
इससे मिलने वाले लाभ मन की एकाग्रता शांति तथा ऊर्जा से लवरेज रखता है।यह हमारे पूर्वजो के द्वारा प्रदान की गयी अपूर्व ऊर्जा थी जिसे अब अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी लोग समझने और सराहने लगे हैं। भारत ऋषियों मनीषियों संत कबीरो का देश रहा है प्रायः सभी ने योग को अपनी ऊर्जा का माध्यम माना है। जिसका जिक्र वेद-पुरानो, गीता, बाइबिल आदि ग्रंथो में मिलता है।योग व्यायाम का ऐसा प्रभावशाली प्रकार है, जिसके माध्याम से न केवल शरीर के अंगों बल्कि मन, मस्तिष्क और आत्मा में संतुलन बनाया जाता है।
योग प्रचीन समय से ही अपनाया जा रहा है। वैदिक संहिताओं के अनुसार तपस्वियों के बारे में प्राचीन काल से ही वेदों में इसका उल्लेख मिलता है। सिंधु घाटी सभ्यता में भी योग और समाधि को प्रदर्श‍ित करती मूर्तियां प्राप्त हुईं।योग की महिमा और महत्व को जानकर इसे स्वस्थ्य जीवनशैली हेतु बड़े पैमाने पर अपनाया जा रहा है, जिसका प्रमुख कारण है व्यस्त, तनावपूर्ण और अस्वस्थ दिनचर्या में इसके सकारात्मक प्रभाव।

भगवद गीता में योग के जो तीन प्रमुख प्रकार बताए गए हैं –

1 कर्मयोग – इसमें व्यक्ति अपने स्थिति के उचित और कर्तव्यों के अनुसार कर्मों का श्रद्धापूर्वक निर्वाह करता है।

2 भक्ति योग – इसमें भगवत कीर्तन प्रमुख है। इसे भावनात्मक आचरण वाले लोगों को सुझाया जाता है।

3 ज्ञाना योग – इसमें ज्ञान प्राप्त करना अर्थात ज्ञानार्जन करना शामिल है।

  आज के इस दौरभाग भरी जिन्दगी में थोडे समय के ठहराव को यदि योग दिनचर्या में शामिल हो तो बहुत सारे झंझटो से मुक्ति तो मिलती ही है स्वास्थ्य को भी दुर्लभ लाभ मिलता है अतः इसे आज बडे पैमाने पर अपनाया जाना भारत के लिए सुखद है ।
                      

आशुतोष
पटना बिहार

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