
…हाय मैंने तो अँजुरी भर खुशबू सहेज रखी थी औऱ भ्रम पाल बैठी कि फूल हैं
खुशबू ही तो थी उड़ जाना ही था ,”उड़ गई ” फिर क्या फर्क पड़ता है मुट्ठियाँ खुली हो या भिंची।
…तय तो ये हुआ था नजदीकियां इतनी रहनी हैं कि कोई डायरी पर्सनल न रहे तू पढ़े मेरी सारी छुपी डायरियां औऱ मैं तेरा चेहरा।
धोखा था आँखों का जो बेरंग रिश्ते में हजार रँग देख बैठीं।
वो गुलाब सा सुर्ख दिखता रिश्ता फ़क्क़ सफ़ेद निकला।
अंतहीन सोच थी कहीं भी उलझती रही। बार-बार वही खोजा जो कहीं था ही नही।
जाने बुरी थी मैं या साल ही बुरा था जो चारो ओर मनहूसियत फैल गई औऱ मनों में अँधेरे।
देखते ही देखते जाने कितने ‘अपने’ आँखों से ओझल हो गए कहने के लिये सोची हुई सारी बातें अनकही रह गईं।।
रिश्ते भुरभुरी रेत से हाथों से फिसल गए।
बचे रह गए जो रिश्ते महामारी की चपेट से उनमें भी कहाँ बचा रह पाया जीवन ।
न तो दुनियाँ पहले जैसी रह गई न ही मन।।
जाने बदल गए हैं लोग या नजरिया पर बदल गया है सब कुछ।।कुछ नामों को चेहरे न मिले कुछ रिश्तों को नाम।।
एक बेनाम रिश्ता चुपके से मन में उतर कर जिद्दी दूब सा फ़ैल गया।
पौध होती स्वार्थ की तो रोप देती उखाड़कर किसी औऱ आँगन
प्रेम का बीज था न जाने कब वटवृक्ष बन बैठा ।
अकेला होना सौभाग्य है खुद से मिलने का” मैं कहती और लम्बा चौड़ा ज्ञान बघारती।
वो कहता राम न करे कभी जानना पड़े तुम्हे क्या होता है लाखो की भीड़ में अकेला होना।
द्वारे से ही राम राम करती रही मन से भरी पूरी जानती भी कैसे
क्या होता है किसी का आकर लौट जाना।
मन पाल बैठा है ऐसी खोखल जो पाटे न पटे।।
बड़ा इठलाकर कहती थी इतनी मजबूत है मेरी पकड़ कोई नही लौट पाया आज तक मेरी दुनियाँ से तुम भी न लौट पाओगे।
यूँ बिन बताये बोरिया बिस्तर समेट लौट गया वो कि उसके लिये लिखी सारी चिट्ठियाँ कुँवारी ही रह गई ।।
वो कहता क्या होगा गर जुदा हो गए रास्ते ,’तुम आगे बढ़ जाना जीवन में बिना ठिठके
मैं उम्र भर ठहरा हुआ निहारूँगा तुम्हारे जाने का रास्ता
पुकार इतनी सच्ची लगी ठहर गई मैं ठहर गया जीवन ठहर गये रास्ते ,नदियाँ ,मौसम
न ठिठके तो बस वो पाँव
जो दम भरते थे उम्र भर ठहर जाने का।।
जो कहता था मैं तो पत्थर बन रह जाऊंगा उम्र भर जो अकेले आगे बढ़े तुम ,’तुम्हारी कसम” उसने तो जाते -जाते ये भी न कहा कि फिर-फिर याद आओगे तुम…
मुझे मिले जाने-अजाने सब अच्छे थे
बहुत अच्छे थे तुम भी ।।
बस बुरी रही मैं …
सबसे बुरी तुम्हारे लिये
अँजुरी भर प्यार भी सम्भाला न गया।
#मीनाक्षी वशिष्ठ