
मिले हो आप हमें,
एक दोस्त बन कर।
निभा देना मेरा साथ,
तुम एक दोस्त बनकर।
मिलेंगे हम जरूर तुमसे,
जीवन के किसी मोड़ पर।
और निभा देंगे हम भी,
दोस्ती का फर्ज मिलकर।।
मिले न मिले हम,
भले ही एकदूजे से।
पर साथ दूर से ही,
अवश्य निभा देना।
माना कि में तुम्हे,
नजदीक से जानता नही।
पर दिल कहता है कि,
तुम दिलमें रहते हो।।
कलम की तगात से ही,
हमारे भाव मिले है।
दो अजनबी एक राह पर,
दिल से आज मिले है।
कितनी तगात होती है,
हमारी कलाम में दोस्तो।
उजड़े हुए बाग को भी,
हंसता हुआ बना देते है।।
दोस्ती से प्यारी चीज,
दुनियाँ में कुछ होती नही।
दोस्ती की कोई कीमत
कभी भी होती नही।
तभी तो कृष्ण सुदामा की,
दोस्ती की देते है मिसाल।
जो सच्चे दोस्तो के दिलमें,
आज भी राज करती है।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।