बच्चो व दादी में वार्तालाप

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बच्चे बोले दादी से,
दादा बाहर क्यो नहीं जाते
हमे घुमाने क्यो नहीं जाते ।
दादी बोली,बाहर कोरो ना बैठा है
दरवाजे पर ताला लगाए बैठा है
इसलिए दादा बाहर नहीं जाते।।

बच्चे फिर दादी से बोले,
कोरोना क्या होता है,
उससे डर क्यो लगता है,
दादी बोली,
कोरोना एक महामारी है
जिससे बचना बड़ा भारी हैं

बच्चे फिर दादी से बोले,
अगर कोरोना भारी है
उसे मिलकर हम उठाएंगे
अगर वह महामारी है तो
डॉक्टर को हम बुलाएंगे
उसको इंजेक्शन लगवाएंगे

दादी बोली बच्चो की सुन भोली बाते
बच्चो को कैसे समझाए ?
भोले है ये कैसे इन्हे समझाए
सोचे सभी उपाय दादी ने
पर कोई अक्ल में न आए।
दादा झट से बोले बच्चो से
कोरोना का कोई इंजेक्शन नहीं बना है कैसे डॉक्टर उसे लगाए
जब इंजेक्शन बन जाएगा इसका
तभी तुम्हे घुमाने ले जाए।।

आर के रस्तोगी
गुरुग्राम

matruadmin

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Tue May 19 , 2020
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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।