मातृभाषा ने आयोजित की ऑनलाइन विचार संगोष्ठी

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भारत कैसे बनेगा आत्मनिर्भर इस विषय पर साहित्यकारों ने रखे अपने विचार
इन्दौर ।

कोरोना से जूझते वैश्विक परिदृश्य में भारत में भी लॉकडाउन 3.0 जारी है, और इसी दौरान मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की बात कही। इसी ध्येय को लक्ष्य रख मातृभाषा.कॉम व हिन्दीग्राम द्वारा ऑनलाइन विचार संगोष्ठी आयोजित की, जिसमें देश के कई राज्यों से जुड़े साहित्यकारों ने अपने-अपने विचार रखे। इस संगोष्ठी का संयोजन दिल्ली की साहित्यकार भावना शर्मा एवं संस्थान की राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष शिखा जैन ने किया।इस संगोष्ठी में दिल्ली की साहित्यकार तरुणा पुण्डीर ने जहाँ स्वदेशी का पक्ष रखते हुए इसे अपनाने पर बल दिया तो गुरुग्राम की मुक्ता मिश्रा द्वारा प्रधानमंत्री के संबोधन को समझाया गया। इसी के साथ, इन्दौर के रमेशचंद्र शर्मा ने गाँधी जी के ग्राम स्वराज पर केंद्र रखा एवं इन्दौर के ही डॉ वासिफ़ काज़ी ने स्वावलंबन पर चर्चा की। इनके अतिरिक्त अमिता रवि दूबे, छत्तीसगढ़, किरण मोर, कटनी, सरिता गुप्ता, पोरसा, रमेशचंद्र शर्मा, इंदौर, धनराज वाणी, अलीराजपुर, साधना छिरोल्या, दमोह, डॉ. वर्षा महेश ‘गरिमा’, मुम्बई, डॉ. वासिफ़ काज़ी, इंदौर, सीता गुप्ता दुर्ग छत्तीसगढ़, प्रतिभा पंचोली, अलीराजपुर मप्र, सीमा निगम, रायपुर, सीमा गर्ग मंजरी, मेरठ, अनीमिका सहाय, गाज़ियाबाद, मोनिका जैन ‘साव’, खनियाधाना, माधुरी सोनी ‘मधुकुंज’, अलीराजपुर, मीनाक्षी सुकुमारन, नोएडा, मुक्ता मिश्रा, गुरुग्राम, तरुणा पुण्डीर ‘तरुनिल’, दिल्ली, विजयलक्ष्मी भट्ट शर्मा, दिल्ली, इंदु मिश्रा किरण, ओमप्रकाश, दिल्ली, भावना गौड़, ग्रेटर नोएडा, मीना, दिल्ली ने सहभागिता करके ऑनलाइन विचार संगोष्ठी को सफल बनाया।

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सफलता

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।