बरसात पर ताज़ा दोहे    

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anant aalok

लो बादल ने खोल दी , फिर गठरी की गीठ |
कीचड़ कीचड़ हो गई , है गठरी की पीठ | 1|

बिजली  देती  धमकियाँ ,  रही  हवाएं  छेड़ |
बादल के आंसू गिरे , लपक रहे हैं पेड़ |2 |

बादल   आये   देखने ,    पर्वत   जंगल    बाग |
दादुर ,झींगुर गा रहे , मिलकर स्वागत राग |3|

भीगे भीगे दिन हुए , गीली गीली रात |
दीप जला कर चल पड़ी , जुगनू की बारात | 4|

बादल से बन प्रेम रस , बरस रही है प्रीत |
रिमझिम बूँदें लिख रहीं , जीवन का संगीत |5 |

नदियाँ नाले भर गए , भरे समंदर ताल |

शुष्क धरा की पीठ पर , उग आये हैं बाल | 6|

सावन आया बाग़ में , आई मस्त बहार |

अमलतास ने टांग दी , स्वर्णिम वन्दनवार | 7|

धरती को सावन किया , कर सावन को रंग |

बाग़ बगीचे छाप कर , छापे कीट पतंग | 8|

वृक्षों ने धारण किये , हरे हरे से वस्त्र |

फूलों ने कर धर लिए , कंटक रूपी शस्त्र |9|

बांच रही है गाय माँ ,  बिखरे हैं   सर्वत्र |

आया सावन डाकिया ,   लेकर ढेरों पत्र |10|

नदियाँ नाले भी गढ़े, बिछा गलीचा सब्ज |

सावन ही पहचानता , है कुदरत की नब्ज |11|

 

खड़े सिपाही खेत में , हाथों में बन्दूक |

भरी गोलियां भूख की , जिनकी मार अचूक |12 |

.

होरी सोया खेत में , खड़े किये  हैं कान |

मकई की मेड़ पर , जाग रहा है श्वान |13|

.

बादल बिजली मिल करे , धरा गगन में शोर |

झूम झूम कर झूमता , धरा गगन में मोर | 14|

.

अम्मा का सिर भीगता , भीग रही है गाय |

दोनों का घर एक सा , कौन सुनेगा हाय |15|

 परिचय

नाम  :         अनन्त आलोक

शिक्षा :        वाणिज्य स्नातक शिक्षा स्नातक ,स्नातकोत्तर (हिंदी ) |

पुस्तकें  : तलाश (काव्य संग्रह2011 में , यादो रे दिवे (हाइकु अनुवाद) |   मेरा शक चाँद पर साहिब (हिंदी ग़ज़ल संग्रह प्रकाशनाधीन |

प्रसारण :       दूरदर्शन एवं आकाशवाणी  से साक्षात्कार कवितायेँ ग़ज़लें एवं आलेख एवं वार्ता प्रसारित |

प्रकाशन :  विपाशा हिमभारती हिमप्रस्थ गिरिराज ,हंस , बाल हंस बाल भारती बया , सरस्वती सुमन अभिनव प्रयास अभिनव इमरोज गर्भनाल कथा समय समहुत कर्मनिष्ठा द बूस्ट सुसंभाव्य नव निकष पेन हिमतरुशैल सूत्र पंजाब केसरी ,देशबंधु ,अमर उजाला दिव्य हिमाचल दैनिक भास्कर दैनिक न्याय सेतु  राजस्थान पत्रिका आदि शताधिक पत्र पत्रिकाओं एवं ऑनलाइन पत्रिकाओं में कहानियां कवितायेँ ग़ज़लें लघुकथाएं बाल कथाएं ,आलेख एवं समीक्षाएं प्रकाशित एवं असंख्य संकलनों में संकलित  |

विशेष एंडरोयड एप ‘समकालीन हिन्दुस्तानी ग़ज़लें ‘ पर ग़ज़लें उपलब्ध |

कवि सम्मेलनों ,मुशायरों एवं लघुकथा सम्मेलनों में निरंतर भागीदारी |

सम्मान :    अंतर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन नेपाल में विशिष्ट प्रतिभा सम्मान , सिरमौर कला संगम ,हिमोत्कर्ष के प्रतिष्ठित पुरस्कार सहित दर्जनों सम्मान |

सम्प्रति :      हिमाचल सरकार में अध्यापन |

संपर्क :      ददाहू  जिला सिरमौर हिमाचल प्रदेश

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।