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नर्स स्वरूप है जननी का
सेवाधर्म है अपनाया
जन जन की पीड़ा हरने
देवी का यह रूप पाया
घृणा नहीं जिसे घावों से
समर्पण ही उसकी पूजा है
पीड़ित जनों की सेवा करती
धर्म न उसका दूजा है।
कुछ पाखंडी इनकी सेवा को
दागदार कर जाते हैं
हवशी काम घृणित विचारों से
मानवता रुद्ध करवाते हैं
निष्काम इनकी सेवा को
शत शत प्रणाम करते है
चिकित्सा सेवा की अधिष्ठात्री का
कोटि वन्दन करते हैं अभिनंदन हम करते हैं।
अविनाश तिवारी
अमोरा
जांजगीर चाम्पा
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