मजदूर और मजबूर

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aashutosh kumar
हाय हाय ये मजदूरी
जनता से नेता की दूरी
है पल पल आस लगाये
दो वक्त की रोजी-रोटी के लिए
कैसे कैसे हसी स्वप्न दिखाए
हाय हाय ये मजदूरी
जनता से नेता की दूरी।

कितने इलेक्शन बीत गए
फिर भी न सुधर पाए
जिस इलेक्शन में खर्च न हो
वो इलेक्शन कब आए▪▪ कब आए?
भरोसे की घडी अब
दिल से टूटता जाए
दो वक्त की रोटी के लिए
कैसे कैसे स्वप्न दिखाए
हाय हाय ये मजदूरी
ये जनता से नेता की दूरी।

लोकतंत्र का ऐसा बंधन है
जो बंधके फिर ना टूटे
अरे झूठे वायदे का क्या भरोसा
आज किए कल भूले••कल भूले
वायदे की माला जपकर
गिरगिट की तरह रंग दिखाए
दो वक्त की रोजी रोटी के लिए
कैसे कैसे स्वप्न दिखाए
हाय हाय ये मजदूरी
जनता से नेता की दूरी।

“आशुतोष”

नाम।                   –  आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम –  आशुतोष
जन्मतिथि             –  30/101973
वर्तमान पता          – 113/77बी  
                              शास्त्रीनगर 
                              पटना  23 बिहार                  
कार्यक्षेत्र               –  जाॅब
शिक्षा                   –  ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन                 – नगण्य
सम्मान।                – नगण्य
अन्य उलब्धि          – कभ्प्यूटर आपरेटर
                                टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य   – सामाजिक जागृति

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