2020 में देय ‘डॉ॰ आम्बेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार’ हेतु दावा

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सेवा में,
माननीय महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी,
एवं
माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी,
भारत सरकार नई-दिल्ली।
दिनांक:- 08 मई 2020।
विषय:- 2020 में देय ‘डॉ॰ आम्बेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार’ हेतु दावा।

आदरणीयों,
जय हिन्द!
वंदेमातरम् कहते हुए विनम्र आग्रह कर रहा हूं कि आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा नागरिकों को अपनी योग्यताओं के आधार पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने के लिए अपने अधिकार के अंतर्गत कोई भी भारतीय नागरिक दावा करने का अधिकारी है।
जिसके आधार पर मेरा दावा है कि अपने साक्ष्यों के आधार पर निष्क्रिय हो चुकी ‘राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई-दिल्ली एवं उसकी सहायक राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों को राष्ट्रहित में कार्य करने और पिछड़े, शोषित एवं उत्पीड़ित वर्ग के समाज को कई वर्षों से निरंतर जागरूक करने के कारण 2020 के ‘डॉ॰ आम्बेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार’ पर मेरा अधिकार बनता है।
उस अधिकार को पाने के लिए मैं किसी भी जांच अथवा अग्नि परीक्षा जैसी कठोर परीक्षा देने के लिए तैयार हूं। जिसके लिए ‘डॉ॰ आम्बेडकर प्रतिष्ठान’ अभी से जांच के आदेश दे सकते हैं।
माननीयों मेरा दावा है कि इस पुरस्कार को लेने के लिए अपने-आप को प्रस्तुत करना मेरा राष्ट्रीय कर्त्तव्य और अधिकारी भी है।
चूंकि परिवारिक असहयोग, सामाजिक घृणा, अपने अधिवक्ताओं का विरोधी अधिवक्ताओं से मिल जाने और विद्वान न्यायधीशों द्वारा घूस लेकर ‘मेडीकल बोर्ड’ के प्रमाण पत्र को नकारते हुए वर्तमान युग के विश्व प्रसिद्ध भारतीय संविधान के निर्माता तथा मानवाधिकारी डॉ भीमराव आम्बेडकर द्वारा रचित संविधान के विरुद्ध आदेश पारित करने के बावजूद मैंने संविधान के प्रति निष्ठा नहीं त्यागी और 1993 से निरंतर संवैधानिक साकारात्मक संघर्षशील हूं। यही नहीं मुझे दिव्यांगजन न्यायालय नई-दिल्ली द्वारा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नई-दिल्ली के मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी प्रमानपत्र के आधार पर ‘मानसिक स्वस्थ’ घोषित करने के बावजूद भारत सरकार मुझे पागल की पेंशन दे रही है। जो कलंकित, घिनौना एवं अमानवीय कृत्य है। इसके बावजूद भी मैं राष्ट्रीय कर्त्तव्यनिष्ठा से विमुख नहीं हुआ हूं और कलमवीर का दायित्व निभाते हुए अपने ऊपर हुए असहनीय अमानवीय अत्याचार, शोषण व उत्पीड़न पर पुस्तकें लिखकर प्रकाशित कर रहा हूं। अपने-आपको राष्ट्र के प्रति समर्पित करते हुए, अब तक आठ पुस्तकें लिख कर राष्ट्र एवं साहित्य को अर्पित कर चुका हूं। जो इस प्रकार
1) वेयर इज कांसिच्यूशन? ला एण्ड जस्टिस? (अंग्रेजी)
(2) कड़वे सच (हिंदी)
(3) मुझे न्याय दो (हिंदी)
(4) फिट्’टे मूंह तुंदा (डोगरी)
(5) मेरियां इक्की गज़लां (डोगरी)
(6) मैं अद्वितीय हूँ (हिंदी) (7) व्यथा मेरी (हिंदी)
(8) राष्ट्र के नाम संदेश (हिंदी) हैं।
माननीयों मुझे पूरी आशा ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्वास है कि उपरोक्त पुरस्कार के लिए ‘डॉ॰ आम्बेडकर प्रतिष्ठान’ द्वारा निर्धारित समस्त मानकों पर मैं सम्पूर्ण खरा उतरूंगा और डॉ॰ आम्बेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार मेरे ही पक्ष में जाएगा।

प्रार्थी
इन्दु भूषण बाली
पत्रकार, ग़ज़लकार, लेखक एवं भारत के राष्ट्रपति पद का पूर्व प्रत्याशी।
घर अंक 01, वार्ड अंक 03,
डाकघर एवं तहसील:-ज्यौड़ियां
जिला जम्मू
प्रदेश:- जम्मू-कश्मीर

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