
आशा और निराशा लेकर आता,
हर रोज नया एक दिन।
जहाँ जीने का हर कोई ढूढता,
एक नया ही ठंग।।
आशा और निराशा लेकर आता,
हर रोज नया एक दिन।।
सूरज की पहली किरणों से
जिस घर का होता सबेरा।
जिस घर में पूजा भक्ति के,
गीत सदा ही गूंजे।
और बढ़े बूढ़ों का मिलता रहे,
सबको आशीर्वाद सदा।
उस घर में सदा सुख शांति
बनी रहती है हमेशा।।
आशा और निराशा लेकर आता,
हर रोज नया एक दिन।
जिस गांव और शहर में गूंजे,
गुरुवाणी और आज़ान।
और आरती के दीपो से
घर घर में प्रकाश पहुंचे।
उस गांव और शहर में,
बनी रहती सुख शांति सदा।
हिल मिलकर सब जाती धर्म के,
लोग रहते यहाँ।।
आशा और निराशा लेकर आता,
हर रोज नया एक दिन।।
एक नया दिन…….।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।