बदनाम गलियाँ

0 0
Read Time2 Minute, 18 Second
sumit
मुझे भी किसी ने दुआओ में मांगा था, 
किसी माँ के दामन की टुकड़ा थी मैं l 
पिता ने पाला था बड़े अरमानों से, 
सब कहते थे कि,चाँद का मुखड़ा थी मैं ll  
पढ़-लिखकर कामयाब होना चाहती थी, 
मुकम्मल हर ख़्वाब करना चाहती थी l 
गुड्डे-गुड़ियों की शादियाँ रचाती थी, 
मैं भी अपनी की शादी के सपने सजाती थी ll 
 
एक दिन एक बेगाने ने सपने प्यार के दिखलाए,
अपनी फरेबी बातों से,नादां के दिल को बहलाया l 
उड़ी संग मैं उसके एक दिन,छोड़ के सारे बंधन,
बांहों में कर दिया था प्यार के,मैंने सर्व समर्पण ll 
 
किसे पता था कि,नारी यहाँ,वस्तु समझी जाती है,
भाव कौड़ियों के बाज़ारों में,ये अबलाएं बेची जाती है l
मुझे भी बेच दिया उसने,उन काले बाज़ारों में,
श्रृंगार सिसकता है जहाँ,इज्ज़त के व्यापारों में ll 
 
नीलाम जहाँ निज़ काया का,उजलापन होता जाता है,
लाज़-शर्म का जहाँ पे घूँघट,सरेआम उछाला जाता है l 
हर एक लड़की की यहाँ,एक सुबकती हुई कहानी है,
प्यार ने बेचा है किसी को,कोई गरीबी की निशानी है ll 
 
काल कोठरी में जीवन है,न द्वार कोई-न झरोखा है,
जो उम्मीद यहाँ दिखाता,बो बस शरीर का भूखा है l
बदनाम गलियों में घुटकर,बस रह गया है मुझे मरना,
हे विधाता किसी जन्म  में,अब बिटिया नहीं मुझे करना ll  

                                                                                            #सुमित अग्रवाल

परिचय : सुमित अग्रवाल 1984 में सिवनी (चक्की खमरिया) में जन्मे हैं। नोएडा में वरिष्ठ अभियंता के पद पर कार्यरत श्री अग्रवाल लेखन में अब तक हास्य व्यंग्य,कविता,ग़ज़ल के साथ ही ग्रामीण अंचल के गीत भी लिख चुके हैं। इन्हें कविताओं से बचपन में ही प्यार हो गया था। तब से ही इनकी हमसफ़र भी कविताएँ हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

कायर पाकिस्तान...

Fri Jul 21 , 2017
पाकिस्तान तेरे झूठ को कितना हम बर्दाश्त करें, कुलभूषण का अन्याय तराजू तेरा पर्दाफाश करें।    वो जिंदा है या है मृत,ये तो हमको मालूम नहीं,  पर तुझसे संधि न करने की तालीम हमारी रही सही।   बैर बढ़ाकर तू अपने पैरों पे कुल्हाड़ी है मार रहा,  पता है हमको […]

पसंदीदा साहित्य

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।