क्या कोरोना पर लाँक डाऊन समस्या से बड़ा समाधान है?

0 0
Read Time2 Minute, 26 Second
  जी हां लाँक डाऊन ही समस्या का मात्र समाधान है।यह लाँक डाऊन प्रमाण-पत्र है कि 'कोरोना' भेदभाव नहीं करता।इसकी दृष्टि में अमीर-गरीब में कोई अंतर नहीं है।यह राजा और रंक में भेद नहीं करता।उल्लेखनीय यह भी है कि इसकी तराजु   न्यायपालिका की न्यायालयों में लगी तराजु से भी पूर्णतया भिन्न है,जो धनवानों के धन के बल पर बिकती नहीं है।यह रंगभेद और लिंगभेद में भी विश्वास नहीं करता।यह पत्रकारिता के झूठे-सच्चे समाचारों से भी विचलित नहीं होता।भारतीय प्रशासनिक सेवा के अंतर्गत समस्त अधिकारियों की धौंस एवं क्रूरता से भी नहीं घबराता।
  सत्य तो यह भी है कि विश्व के समस्त देशों की सीमाएं और उस पर खड़ी सशक्त सेनाएं भी इसको रोकने में असमर्थ हो चुकी हैं।यह दीमक खाई विधायिका, न्यायपालिका, कार्यपालिका और पत्रकारिता के क्रूरत्म से क्रूरत्म उत्पीड़न से नहीं डरता,बल्कि इसके डर से विधायिका,न्यायपालिका, कार्यपालिका और पत्रकारिता थर-थर कांप रही हैं।
  अर्थाथ यह मानव को मानवता सिखाने के लिए आया है।भेदभाव मिटाने के लिए आया है।परमात्मा की याद दिलाने के लिए आया।यह बुद्धिमता की प्राकृतिक परीक्षा लेने आया है।यह बताना चाहता है कि वह काम क्रोध लोभ मोह और अंहकार का दास नहीं है।इसलिए यह भ्रष्टों की आत्मा को जगाने एवं उनके कालर पकड़ कर उनसे पूछने आया है कि बोलो मुझे समाप्त करने के लिए कितनी घूस लोगे?
  इसलिए जब तक सम्पूर्ण शुद्ध  ईमानदार प्रवृति के राष्ट्रभक्त वैज्ञानिक 'कोरोना' के नाक में नकेल नहीं डाल लेते।तब तक लाँक डाऊण के अंतर्गत एकांतवास के अलावा कोई वैकल्पिक समाधान नहीं है। जय हिंद

matruadmin

Next Post

कहर बना करोना

Thu Mar 26 , 2020
पूरे विश्व की रफ्तार,रूक गयी देखो एक वायरस के आगे,जीवन लाचार देखो।। विज्ञान ही सबकुछ है, आकर यहाँ देखो आज वेवसी में पडा,कितना लाचार देखो।। मत फैलने दो इसे संयम, अपनाकर तो देखो जिस पर वस नही,उसे फैलने से रोको।। चंद दिनों की बात,मौत के आगोश में समाज चलना होगा […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।