क्या कोरोना पर लाँक डाऊन समस्या से बड़ा समाधान है?

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  जी हां लाँक डाऊन ही समस्या का मात्र समाधान है।यह लाँक डाऊन प्रमाण-पत्र है कि 'कोरोना' भेदभाव नहीं करता।इसकी दृष्टि में अमीर-गरीब में कोई अंतर नहीं है।यह राजा और रंक में भेद नहीं करता।उल्लेखनीय यह भी है कि इसकी तराजु   न्यायपालिका की न्यायालयों में लगी तराजु से भी पूर्णतया भिन्न है,जो धनवानों के धन के बल पर बिकती नहीं है।यह रंगभेद और लिंगभेद में भी विश्वास नहीं करता।यह पत्रकारिता के झूठे-सच्चे समाचारों से भी विचलित नहीं होता।भारतीय प्रशासनिक सेवा के अंतर्गत समस्त अधिकारियों की धौंस एवं क्रूरता से भी नहीं घबराता।
  सत्य तो यह भी है कि विश्व के समस्त देशों की सीमाएं और उस पर खड़ी सशक्त सेनाएं भी इसको रोकने में असमर्थ हो चुकी हैं।यह दीमक खाई विधायिका, न्यायपालिका, कार्यपालिका और पत्रकारिता के क्रूरत्म से क्रूरत्म उत्पीड़न से नहीं डरता,बल्कि इसके डर से विधायिका,न्यायपालिका, कार्यपालिका और पत्रकारिता थर-थर कांप रही हैं।
  अर्थाथ यह मानव को मानवता सिखाने के लिए आया है।भेदभाव मिटाने के लिए आया है।परमात्मा की याद दिलाने के लिए आया।यह बुद्धिमता की प्राकृतिक परीक्षा लेने आया है।यह बताना चाहता है कि वह काम क्रोध लोभ मोह और अंहकार का दास नहीं है।इसलिए यह भ्रष्टों की आत्मा को जगाने एवं उनके कालर पकड़ कर उनसे पूछने आया है कि बोलो मुझे समाप्त करने के लिए कितनी घूस लोगे?
  इसलिए जब तक सम्पूर्ण शुद्ध  ईमानदार प्रवृति के राष्ट्रभक्त वैज्ञानिक 'कोरोना' के नाक में नकेल नहीं डाल लेते।तब तक लाँक डाऊण के अंतर्गत एकांतवास के अलावा कोई वैकल्पिक समाधान नहीं है। जय हिंद

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।