बांसुरी की मदभरी धुन ..

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कुछ सुना जाओ किशन तुम,
बांसुरी की मदभरी धुन।
प्राणों में फिर फूंक दो तुम,
मधुर रस की प्रेम स्वर धुन।
स्रजन के नव गीत को अब,
आज फिर से मुखर दो तुम।
सब प्रेम के मद में सने हैं,
तान छेड़ो फिर एक नई तुम।
कुछ सुना जाओ किशन तुम,
बांसुरी की मदभरी धुन…..। 1।
पैंजनी की धुन पर कुछ कुछ,
आज नाचे मीत से तुम।
हो कहां तुम मनमीत मेरे,
ये प्रेमिका तुमको टटोले।
उस कदम्ब नीचे मिलो तुम,
तट किनारे यमुना के सनम।
फिर सुनाओ बांसुरी धुन,
ले प्रीत की बांहों में समेटे।
कुछ सुना जाओ किशन तुम,
बांसुरी की मदभरी धुन…..। 2।
ये प्रेम रस मुरली बजाकर,
अधरों पर इसको टिकाए।
तन पीताम्बर को लपेटे,
मोर मुकुट सिर पर सजा के।
कुछ चपल चंचल नयन ये,
श्याम तेरे ये नैना अनोखे।
लट बिखरी घनघोर सी हैं,
श्याह की यह चादर लपेटे।
कुछ सुना जाओ किशन तुम,
बांसुरी की मदभरी धुन…..। 3।
मैं बिरह में जल रही हूँ,
बाट जोहती दिन रैन घनेरे।
कुछ मिलन की आस लेकर,
जलती बुझती श्याम तुम बिन।
ये कदम्ब यमुना के तीरे,
साक्षी है मेरे प्रेम का वट।
निष्ठुर ह्रदय तेरा बड़ा क्यों,
मेरे आह की सुर तान को सुन।
कुछ सुना जाओ किशन तुम,
बांसुरी की मदभरी धुन…..। 4।
अब बताओ कब मिलोगे,
मेरे प्रेम को, संसार मे तुम।
कब तलक जलना है हमको,
तेरे प्रेम को, अंगार से अब।
बासुरी की धुन बनाकर,
मुझको अधरों पर सजालो।
क्यों सबब तुम दे रहे हो,
न करेंगे शिकवा गिला हम।
प्रेमरोग लगा कर तुम मुझको,
क्यो जान पर बन आये हो तुम।
कुछ सुना जाओ किशन तुम,
बांसुरी की मदभरी धुन…..। 5।
डॉ दिग्विजय कुमार शर्मा
साहित्यिक उपनाम- विजय
राज्य- उत्तर प्रदेश
शहर- आगरा
शिक्षा-पी-एच. डी.
कार्यक्षेत्र- शैक्षिक एवं अनुसंधान
विधा – साहित्य की सभी विधाएं
प्रकाशन-5
सम्मान- 70
ब्लॉग- नहीं
अन्य उपलब्धियाँ- शैक्षिक, पत्रकारिता, लेखन की सभी विधाएं, सामाजिक कार्य
लेखन का उद्देश्य- हिंदी का प्रचार प्रसार, हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा बने।

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।