क्या आप असली होली का आनन्द टीवी पर लेते हैं?

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होली तो होली है।जिसमें असली या नकली का प्रश्न ही नहीं उठता।क्योंकि होलिका दहन के कारण होली का पर्व मनाया जाता है।जो कृत्रिम रंगो के साथ-साथ प्राकृति के प्राकृतिक विभिन्न रंगों का आगमन माना जाता है।जबकि विजय दशमी की भांति अमानवता पर मानवता की विजय का प्रतीक भी है।
  सौभाग्य से मुझे उक्त पर्व अन्य पर्वों की भाँति मनाने का कभी समय ही नहीं मिला।क्योंकि 1962 में जन्मा और 1965 में पाक ने हमारे घरों पर हमला कर दिया और हम विस्थापित हो गए।उसके बाद दर बदर होकर जैसे ही घरों में लौटे तो 1971 के भारत-पाक युद्ध को झेला।जिसके कारण पुन: शरणार्थी बने।मगर पाक की नापाक साजिशों का दहन नहीं हुआ।
  युवावस्था में शिक्षा संस्थानों से लेकर सरकारी कार्यालयों में फैले भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ता रहा।जिसमें पराजय के साथ-साथ विजय भी मिली।किन्तु भ्रष्टाचार रूपी होलिका दहन ना हो सका।
  1990 में राष्ट्र सेवा के लिए भारत स्तर की परीक्षा उत्तीर्ण कर केंद्र सरकार में भर्ती हुआ था।जहां तीन वर्ष के उपरांत भ्रष्ट एवं क्रूर अधिकारियों की क्रूरता का ग्रास बन गया।राष्ट्रभक्ति के कारण एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरण होता गया और आंतों की तपेदिक रोग में भूखे पेट जेलें काटता रहा।यही नहीं राष्ट्रभक्ति और मानवता का दण्ड आज भी राष्ट्रद्रोह के कलंकित आरोप एवं अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नई दिल्ली (एम्स) के जारी किए मानसिक स्वस्थ प्रमाणपत्र के बावजूद भारत सरकार द्वारा पागल की पेंशन दी जा रही है।
 इन हालातों में बालक से युवा और युवा से वृद्ध हो गया हूँ।किन्तु यथार्थ यह है कि असंख्य हिरण्यकश्यप और होलिकाएं आज भी जिन्दा हैं।चाहे कश्मीर हो या दिल्ली के वर्तमान हिंसक दंगे हों।मानवता चीख रही है।तो मार्गदर्शन करें कि ऐसे में मैं होली का आनन्द धरा या टीवी पर भी कैसे लूँ?

#इंदु भूषण बाली

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।