
ये बताइये ये बताइये ये बताइये ये बताइये।
हम करें उनकी बुराई, वो हमें दोषी बताते
साथ मे जब बैठते तो, हमसे हमदर्दी जताते
आरोप तय करने से पहले क्यो न खुद में झांकिए
ये बताइये ये बताइये ये बताइये ये बताइये।
दें तवज्जो हमको वो, खाईं में हमको गिराते
कीमतें खुद की गिराकर, कीमती हमको बताते
मूल्य तय करने से पहले क्यो न खुद को आंकिए
ये बताइये ये बताइये ये बताइये ये बताइये।
आने में क्यो देर की, कारण नही पूछेंगे हम
जाने मे क्यो पूछती हो, तुम किसी से नही कम
दूसरों को तंग ना कर क्यो न खुद चले जाइये
ये बताइये ये बताइये ये बताइये ये बताइये।
राह की कठिनाइयों से यूं ना हारा कीजिए
दूसरों के कंधों का ना यूं सहारा लीजिए
गंतव्य तक का मार्ग चलकर क्यों न खुद ही पाइये
ये बताइये ये बताइये ये बताइये ये बताइये।
दे तवज्जो दूजे को ना चापलूसी कीजिए
आप भी है बहुत कुछ अपनी तलाशी लीजिए
क्षमता अद्भुद आप में है उसे क्यों न दिखाइये
ये बताइये ये बताइये ये बताइये ये बताइये।
देर की आने में तो मैं सोचकर घबरा गया
कुछ क्षणों में जा रहे ना वक्त से ठहरा गया
जानें का तो ध्यान है क्यों ना समय से आइये
ये बताइये ये बताइये ये बताइये ये बताइये।
खुद ही करते शोर भी डर लगता जिनको शोर से
हाथ भी गर है मिलाते तो दबाते जोर से
दिल मिलाते हो नही, क्यों हाथ बस ही मिलाइये
ये बताइये ये बताइये ये बताइये ये बताइये।
स्वार्थी दुनिया में जीना कहते है मुश्किल सभी
सहयोग तो है चाहते, लेकिन नही देते कभी
दूसरों को आजमाते, साथ क्यों न निभाइये
ये बताइये ये बताइये ये बताइये ये बताइये।
गर तवज्जो दे दिया तो सिर पे वो चढ़ जाती है
बात ही बातों में बातें, बात यूं बढ़ जाती है
हमने तो कह दी बहुत, अब आप क्यों न सुनाइये
ये बताइये ये बताइये ये बताइये ये बताइये।
सुख दुख करूणा घृणा दया सब चंद दिनों के मेले है
ये दुनिया है दुनिया में पड़ के देखे बहुत झमेले है
उनका कर ‘एहसास’ क्यो न हंस के जीते जाइये
ये बताइये ये बताइये ये बताइये ये बताइये।
#अजय एहसास
सुलेमपुर परसावां
अम्बेडकर नगर (उ०प्र०)