ये बताइये!

0 0
Read Time2 Minute, 53 Second

ये बताइये ये बताइये ये बताइये ये बताइये।
हम करें उनकी बुराई, वो हमें दोषी बताते
साथ मे जब बैठते तो, हमसे हमदर्दी जताते
आरोप तय करने से पहले क्यो न खुद में झांकिए
ये बताइये ये बताइये ये बताइये ये बताइये।

दें तवज्जो हमको वो, खाईं में हमको गिराते
कीमतें खुद की गिराकर, कीमती हमको बताते
मूल्य तय करने से पहले क्यो न खुद को आंकिए
ये बताइये ये बताइये ये बताइये ये बताइये।

आने में क्यो देर की, कारण नही पूछेंगे हम
जाने मे क्यो पूछती हो, तुम किसी से नही कम
दूसरों को तंग ना कर क्यो न खुद चले जाइये
ये बताइये ये बताइये ये बताइये ये बताइये।

राह की कठिनाइयों से यूं ना हारा कीजिए
दूसरों के कंधों का ना यूं सहारा लीजिए
गंतव्य तक का मार्ग चलकर क्यों न खुद ही पाइये
ये बताइये ये बताइये ये बताइये ये बताइये।

दे तवज्जो दूजे को ना चापलूसी कीजिए
आप भी है बहुत कुछ अपनी तलाशी लीजिए
क्षमता अद्भुद आप में है उसे क्यों न दिखाइये
ये बताइये ये बताइये ये बताइये ये बताइये।

देर की आने में तो मैं सोचकर घबरा गया
कुछ क्षणों में जा रहे ना वक्त से ठहरा गया
जानें का तो ध्यान है क्यों ना समय से आइये
ये बताइये ये बताइये ये बताइये ये बताइये।

खुद ही करते शोर भी डर लगता जिनको शोर से
हाथ भी गर है मिलाते तो दबाते जोर से
दिल मिलाते हो नही, क्यों हाथ बस ही मिलाइये
ये बताइये ये बताइये ये बताइये ये बताइये।

स्वार्थी दुनिया में जीना कहते है मुश्किल सभी
सहयोग तो है चाहते, लेकिन नही देते कभी
दूसरों को आजमाते, साथ क्यों न निभाइये
ये बताइये ये बताइये ये बताइये ये बताइये।

गर तवज्जो दे दिया तो सिर पे वो चढ़ जाती है
बात ही बातों में बातें, बात यूं बढ़ जाती है
हमने तो कह दी बहुत, अब आप क्यों न सुनाइये
ये बताइये ये बताइये ये बताइये ये बताइये।

सुख दुख करूणा घृणा दया सब चंद दिनों के मेले है
ये दुनिया है दुनिया में पड़ के देखे बहुत झमेले है
उनका कर ‘एहसास’ क्यो न हंस के जीते जाइये
ये बताइये ये बताइये ये बताइये ये बताइये।

     #अजय एहसास
      सुलेमपुर परसावां
  अम्बेडकर नगर (उ०प्र०)

matruadmin

Next Post

सीएए की आड़ में धमकियों व विद्रोह से बाज आएं मुस्लिम नेता : डॉ सुरेन्द्र जैन

Sun Feb 23 , 2020
देश विरोधी व हिन्दू द्रोही कृत्यों पर सरकारें करें कड़ी कार्यवाही नई दिल्ली फरवरी 22, 2020। कट्टरपंथी मुस्लिम नेता ओवैसी के प्रवक्ता वारिस पठान ने अपने भाषण में हिंदू समाज को चुनौती देते हुए कहा था कि जब हम 15 करोड़ सड़कों पर उतरेंगे तो 100 करोड़ पर भारी पड़ेंगे। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।